धमकियों से डरी नेहा अग्रवाल ने लगाई न्याय की गुहार, बोलीं – “मेरी बेटी और मेरी जान को खतरा है, पुलिस कर रही है हीलाहवाली”

by Vimal Kishor

 

लखनऊ,समाचार10 India। राजधानी लखनऊ के आलमबाग क्षेत्र में रहने वाली नेहा अग्रवाल और उनकी नाबालिग बेटी को लगातार व्हाट्सएप पर बलात्कार और हत्या की धमकियां मिल रही हैं। शर्मनाक बात यह है कि पीड़िता की ओर से बार-बार पुलिस से शिकायत करने के बावजूद अब तक न तो आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है और न ही उन्हें कोई नोटिस जारी किया गया है।

पीड़िता नेहा अग्रवाल ने अब मीडिया और प्रशासन से सीधे हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होंने मुख्यमंत्री, डीजीपी, महिला आयोग, साइबर सेल और मानवाधिकार आयोग को पत्र लिखकर गुहार लगाई है कि उनकी और उनकी बेटी की जान को गंभीर खतरा है और यदि समय रहते कार्रवाई नहीं हुई तो कोई भी अनहोनी हो सकती है।

अश्लील मैसेज और वीभत्स धमकियों का सिलसिला

नेहा अग्रवाल के मुताबिक कुछ शरारती तत्वों द्वारा उन्हें और उनकी बेटी को लगातार व्हाट्सएप पर अश्लील संदेश, गालियां और रेप-मर्डर जैसी गंभीर धमकियाँ दी जा रही हैं। इन लोगों ने यहाँ तक लिख भेजा कि वे “निर्भया कांड” और “कोलकाता डॉक्टर मर्डर केस” से भी भयानक वारदात को अंजाम देंगे। पहले तो नेहा ने सामाजिक मर्यादा और लोकलाज के चलते यह सब सहन किया, लेकिन जब मानसिक स्थिति बिगड़ने लगी और बेटी की सुरक्षा को लेकर भय सताने लगा, तब उन्होंने पुलिस से संपर्क किया।

पीड़िता नेहा अग्रवाल के अनुसार मयंक अग्रवाल, पुत्र विनय अग्रवाल निवासी, खैरी गांव, तहसील खैरलांजी, जिला बालाघाट (म.प्र.), आर्या तिवारी उर्फ नितिन तिवारी, पुत्र मदन मोहन तिवारी निवासी, कुरार ग्राम, मुंबई (महाराष्ट्र), रजनीकांत और कुछ अन्य अज्ञात व्यक्तियों द्वारा उन्हें लगातार धमकियां दी जा रहीं हैं।
नेहा अग्रवाल के अनुसार इन लोगों ने संगठित रूप से उन्हें टारगेट किया है और यह पूरी तरह से साइबर क्राइम की श्रेणी में आता है। पीड़िता की तहरीर पर थाना आलमबाग में 12 मार्च 2025 को भारतीय दंड संहिता की धारा 79, 352 और 351(3) के तहत FIR दर्ज की गई। लेकिन तीन महीने बीत जाने के बावजूद पुलिस ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। न कोई गिरफ्तारी, न पूछताछ, न ही नोटिस।

पीड़िता का आरोप है कि जब वह मामले की जानकारी के लिए जांच अधिकारी से संपर्क करती हैं तो उन्हें कहा जाता है “इसमें कुछ नहीं हो सकता।” उन्हें शक है कि पुलिस अधिकारी आरोपियों को बचाने का प्रयास कर रहे हैं और मामले में जल्द ही फाइनल रिपोर्ट लगाने की योजना बनाई जा रही है। नेहा अग्रवाला ने कहा “मैं और मेरी बेटी रोज़ मरते हैं। घर से बाहर निकलने में डर लगता है। मानसिक संतुलन बिगड़ता जा रहा है। समाज, परिवार, हर जगह यह मामला हमारे जीवन पर असर डाल रहा है।” उनका कहना है कि पुलिस की निष्क्रियता न केवल उनके, बल्कि पूरे समाज की महिलाओं की सुरक्षा पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करती है।

पीड़िता नेहा अग्रवाल ने मांग की है कि इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय स्वतंत्र जांच हो, जांच अधिकारी की भूमिका की निष्पक्ष जांच हो, सभी आरोपियों की तुरंत गिरफ्तारी और सख्त सजा हो, पीड़िता व उनकी बेटी को सुरक्षा और काउंसलिंग प्रदान की जाए तथा मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में हो ताकि जल्द न्याय मिल सके।

इस प्रकरण में सवाल उठता है कि जब “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” और “नारी सशक्तिकरण” जैसे अभियान पूरे देश में जोरों पर हैं तब एक महिला और उसकी नाबालिग बेटी को लगातार धमकियों के बावजूद सुरक्षा न मिलना – न सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही है बल्कि महिला अधिकारों का खुला उल्लंघन भी। अब देखना यह है कि क्या शासन-प्रशासन इस गुहार को सुनता है या यह मामला भी फाइलों और “अभी जांच चल रही है” जैसे जुमलों में दबकर रह जाएगा।

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