सीएसआईआर- एनबीआरआई में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के अवसर पर प्रोफेसर कैलाश नाथ कौल स्मृति व्याख्यान का हुआ आयोज

by Vimal Kishor

 

 

लखनऊ,समाचार10 Inaia। सीएसआईआर– एनबीआरआई, लखनऊ ने आज संस्थान में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस भी मनाया गया | इस अवसर पर पद्म भूषण डॉ. राजेंद्र सिंह परोदा, संस्थापक अध्यक्ष, ट्रस्ट फॉर एडवांसमेंट ऑफ़ एग्रीकल्चरल साइंसेज, नई दिल्ली; भूतपूर्व महानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली एवं भूतपूर्व सचिव, कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग, भारत सरकार समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित थे | डॉ. परोदा ने ‘हमारी कृषि जैव विविधता का प्रबंधन’ विषय पर प्रो. के. एन. कौल स्मृति व्याख्यान प्रस्तुत किया| इस वर्ष के विज्ञान दिवस का थीम ‘वैश्विक कल्याण के लिए वैश्विक विज्ञान’ था।

पद्मभूषण प्रोफेसर कैलाश नाथ कौल एक महान भारतीय वनस्पतिशास्त्री, प्रकृतिप्रेमी एवं सफल कृषि वैज्ञानिक थे जिनको बागवानी, वन्यजीव, पेड़ पौधों से काफी लगाव था। प्रो. कौल ने ही वर्ष 1948 में लखनऊ में राष्ट्रीय वनस्पति उद्यान की स्थापना की थी जो वर्ष 1953 में सीएसआईआर-राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान के रूप में परिवर्तित हुआ।

कार्यक्रम का प्रारंभ प्रोफेसर कैलाश नाथ कौल को श्रद्धांजलि अर्पित करने के साथ हुआ। संस्थान के निदेशक डॉ. अजित कुमार शासनी ने अपने स्वागत सम्बोधन में कार्यक्रम में पधारे अतिथियों एवं श्रोताओं का स्वागत करते हुए प्रो. कौल के योगदान का उल्लेख किया। सभी को संबोधित करते हुए डॉ. परोदा ने अपने व्याख्यान में बताया कि कृषि जैवविविधिता हमारी सम्पूर्ण जैव विविधिता का एक अभिन्न अंग हैं इसमें मुख्यतः फसली किस्मे, मवेशी/पशुधन, घरेलु फसलें, मिटटी एवं उसका आंतरिक पर्यावरण आदि शामिल हैं | पृथ्वी की अगर हम कुल जैवविविधिता को देखे तो अभी तक सिर्फ 10 प्रतिशत प्रजातियाँ ही ज्ञात है | वैश्विक खाद्य सुरक्षा को देखते हुए हमे अपनी कृषि आधारित सम्पदा का सरंक्षण एवं उसके सतत उपयोग पर ध्यान देना होगा।

डॉ. परोदा ने बताया कि राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो, नई दिल्ली के वर्ष 2004 में किये गए अध्ययन के मुताबिक विश्व में खाद्य पूर्ति वैश्विक रूप से परस्पर निर्भर हैं। इसलिए हमे अपने देश की कृषि आधारित जैव विविधिता को सहेजना होगा | इसके लिए हमे पारंपरिक विज्ञान के साथ साथ आधुनिक तकनीको जैसे प्रेसीजन कृषि तकनीकी, राष्ट्रीय सुरक्षा जीनबैंक, फील्ड जीनबैंक आदि का भी उपयोग करना होगा। हमे वैश्विक स्तर पर सोचना होगा और स्थानीय स्तर पर इसके लिए कड़े कदम उठाने होंगे |इस अवसर पर डॉ. परोदा ने वर्ष 2023 का संस्थान का कैलेंडर भी जारी किया | इसके साथ साथ उन्होंने संस्थान के वनस्पति उद्यान, पादपालय एवं अभिदर्शन का भी भ्रमण किया।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस समारोह के अंतर्गत संस्थान की सभी प्रयोगशालाए, वनस्पति उद्यान, पादपलय, अभिदर्शन एवं अन्य सुविधाए छात्र-छात्राओं के साथ साथ आम जनता हेतु खुली रही | इस दौरान लखनऊ के करीब 20 स्कूल/कॉलेजों के 500 से ज्यादा विद्यार्थियों ने संस्थान की प्रयोगशालाओं, वनस्पति उद्यान एवं पादपलय का भ्रमण किया । कार्यक्रम के अंत में संस्थान के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. प्रमोद शिर्के ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया जबकि डॉ. अदिति गुप्ता, वरि. वैज्ञानिक ने कार्यक्रम का संचालन किया।

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