एक जनवरी को नव वर्ष मनाकर हम भारतीय क्रांतिकारियों के बलिदान का करते हैं अपमान

by Vimal Kishor

कृपा शंकर यादव

जिन अंग्रजों से आजादी के लिए बहनों ने अपने भाइयों को गोलियों से छलनी होते और माताओ ने अपने बेटों को फाँसी के फन्दे पर लटकते देखा है! उस देश का वर्तमान जनमानस किसी न किसी रूप में प्रति वर्ष उन्ही अंग्रजो के राजा जॉर्ज का जन्मदिन नए वर्ष के रूप में बड़े धूमधाम से मनाकर देश के उन क्रांतिकारियों के बलिदान को नजरअंदाज करने का प्रयास कर रहें हैं। हमें यह नही भूलना चाहिए कि सन 1751 में ब्रिटिश पार्लियामेन्ट ने एक एक्ट पास किया जिसका नाम था “कलेँडर एक्ट”! इस एक्ट में ये कहा गया कि दुनिया भर के ब्रिटिश उपनिवेशो में वर्ष का प्रारंभ 1 जनवरी से होगा। जो पहले 1 मार्च से होता था! “मार्च ” का मतलब ही है चलना या शुरू करना होता है। अँग्रेजो द्वारा नया साल 1 जनवरी को तय करने के पीछे का यही प्रमुख कारण कि अंग्रेजों के उस शक्तिशाली राजा जिसका नाम “जार्ज” था दरअसल उस राजा जॉर्ज का जन्म 1 जनवरी को हुआ था।

विचार कीजिए कि जिन अंग्रजों ने हमारे ऊपर शासन करते हुए न जाने कितने विषम परिस्थितियों में भारतीय क्रांतिकारियों और लोगो पर अपना जुल्म ढाते रहे क्या हमें उनके राजा जॉर्ज का जन्मदिन प्रति वर्ष धूम्रपान से मनाना चाहिए यकीनन नही मनाना चाहिए। हमें यह नही भूलना चाहिए कि उन अंग्रेजों ने उस दौर के लोगों पर तरह-तरह के अमानवीय जुल्म के कोड़े बरसाए हैं। उस दौर के क्रांतिकारियों के परिजनों को भी अमानवीय व्यवहार का सामना करना पड़ता था।

और आज हम है कि हर साल के प्रथम जनवरी को ही नए वर्ष के रूप में मनाकर उन देश भक्त क्रांतिकारियों के बलिदान को नजरअंदाज करने का दुस्साहस कर रहें हैं। जबकि हमारे देश भारत में 1 मार्च को नया वर्ष मनाने का सनातन प्रचलन है। सनातन हिन्दू धर्म भी 1 मार्च को ही नववर्ष मनाने की अनुमति देता है। जबकि 1 जनवरी को खरवास होता है और वह दिन हिन्दू धर्म के मान्यताओं के लिए भी अशुभ माना गया है।

लोग 31 दिसम्बर की रात को 12 बजे से ही लोगों को नववर्ष की बधाईयां देते हुए अज्ञानता वश अंग्रेज राजा के जन्म दिवस की बधाईयां देते हैं। जो कि कहीं ना कहीं देश के सेनानियों और क्रांतिकारी लोगों के लिए अपमानजनक विषय है। समय के इस बदलते परिवेश में हम भारतीयों को अपना नव वर्ष 01 जनवरी को नही बल्कि 01 मार्च को मनाना चाहिए। जिससे एकओर जहाँ सन 1751 में ब्रिटिश पार्लियामेंट में पारित एक्ट से भी हम भारतीय स्वयं को दूर कर सकेंगे वही शहीद हुए क्रांतिकारी बन्धुओ का भी अपमान करने से बच सकेंगे।

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