पर्यटकों को पहलगाम में बेरहमी से मार डाला गया, उनसे जबरदस्ती अपनी पैंट की ज़िप खोलने को कहा गया ताकि देखा जा सके कि वे खतना करवाए हुए हैं या नहीं—अगर नहीं करवाया था, तो उन्हें गोली मार दी गई। यह साफ़ तौर पर हिंदुओं को निशाना बनाकर की गई हत्या है, और कुछ नहीं।
यह कोई नई बात नहीं है। यह तो कश्मीरी पंडितों के लक्षित नरसंहार और पलायन से शुरू हुआ था। जब हमने ‘द कश्मीर फाइल्स’ बनाई_तीन दशक बाद_तो हमारे कंटेंट की सच्चाई पर सवाल उठाए गए, जबकि असलियत फिल्म से कहीं ज़्यादा भयावह थी।
जो पहलगाम में हुआ, वह इतिहास की पुनरावृत्ति है। तमिलनाडु, कर्नाटक, ओडिशा, गुजरात और महाराष्ट्र से आए पर्यटकों को सिर्फ इसलिए निशाना बनाया गया क्योंकि वे हिंदू थे_ना कि उनकी जाति या भाषा के कारण।
हमने यही नफ़रत मुर्शिदाबाद में भी देखी_400 हिंदू परिवारों को पलायन करना पड़ा, हरगोविंद दास और उनके बेटे चंदन दास को सिर्फ मूर्तियां बनाने के कारण मार डाला गया। अब हम ‘द दिल्ली फाइल्स – द बंगाल चैप्टर’ ला रहे हैं, ताकि इस खतरे की जड़ को उजागर किया जा सके।
चाहे मुर्शिदाबाद हो या कश्मीर_पैटर्न वही है। हम सच दिखाते हैं, तो लोग उसे झूठ कहते हैं, जबकि सच उनके सामने होता है।