अटल बिहारी वाजपेयी: ‘प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम न दो’ – विवेचना

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चालीस के दशक में भारत की आज़ादी की लड़ाई लड़ने वाले अधिकतर लोगों के निजी संबंध लकीर के फ़कीर नहीं थे. गांधी खुलेआम ब्रह्मचर्य के साथ अपने प्रयोग कर रहे थे. कहा जाता है कि विधुर होते हुए भी

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