लखनऊ,समाचार10 India। बच्चों के पालन-पोषण का सफर खुशियों, परेशानियों और सीखने के कई सारे मौकों से भरा होता है। यदि आपको पता चलता है कि आपके बच्चे को टाइप 1 डायबिटीज है तो यह खबर आपको एक अलग तरह के बदलाव की ओर लेकर जाती है। टाइप 1 डायबिटीज में इम्युन सिस्टम का प्रभाव पैनक्रियाज (अग्नाशय) के इंसुलिन बनाने की क्षमता पर पड़ता है। इस स्थिति में ब्लड शुगर के स्तर पर लगातार नजर रखने की जरूरत होती है। हालांकि, इस बात का ध्यान रखना बेहद जरूरी है कि टाइप 1 डायबिटीज के साथ भी आपका बच्चा एक अच्छी, सेहतमंद जिंदगी जी पाए। इसमें मुख्य रूप से समस्या को नियंत्रित करने के लिए उन पहलुओं पर ध्यान दिया जाता है जिसका प्रभाव आपके बच्चे के पूरे स्वास्थ्य पर पड़ता है, जैसे रोजाना व्यायाम करने को महत्व देना भी एक महत्वपूर्ण पहलू है।
डॉ. ज्योति शाह, कंसल्टेंट, अकादिस हॉस्पिटल का कहना है, “टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित बच्चों के दैनिक जीवन में शारीरिक गतिविधियों को शामिल करना उनकी सेहत और तंदुरुस्ती के लिए जरूरी है। माता-पिता को अपने बच्चे के लिए 30 मिनट की एक्सरसाइज की नियत दिनचर्या बनाने से ना केवल उनके बच्चे के ब्लड शुगर नियंत्रण पर बेहतर प्रभाव पड़ेगा, बल्कि इससे इंसुलिन की संवेदनशीलता भी बढ़ेगी और उनकी जिंदगी भी सेहतमंद हो पाएगी। डायबिटीज के मैनेजमेंट को आसान बनाने वाली नई तकनीकों को शामिल करने से बच्चे की डायबिटिक यात्रा परेशानीमुक्त हो सकती है। जैसे, माता-पिता ग्लूकोज की निरंतर निगरानी रखने वाली डिवाइस (सीजीएम) का उपयोग ग्लूकोज के स्तर को जांचने के लिए कर सकते हैं। इससे भोजन, शारीरिक गतिविधि और इंसुलिन डोज जैसे कारकों का ब्लड शुगर पर पड़ने वाले प्रभाव का रियल टाइम डेटा उपलब्ध हो जाता है।“
डॉ. प्रशांत सुब्रमण्यिन, हेड, मेडिकल मामलों, इमर्जिंग, एशिया तथा भारत, डायबिटीज केयर एबॅट का कहना है, “किसी के लिए डायबिटीज में देखभाल करना मुश्किल हो सकता है-खासकर बच्चों के मामले में माता-पिता अपने बच्चों की सेहत की देखभाल में अहम भूमिका निभाते हैं। बच्चों को इसमें सक्षम बनाने और डायबिटीज के नियंत्रण की जटिलता को कम करने में टेक्नोलॉजी से प्रेरित होकर बनाई गई सीजीएम डिवाइस उपयोगी साबित हुए हैं। इसमें ज्यादा परेशानी नहीं होती और बच्चे के ग्लूकोज के स्तर को बिना किसी दर्द के जांचा जा सकता है। इसके साथ ही स्मार्टफोन का इस्तेमाल करने से डिजिटल कनेक्शन तैयार हो जाता है और माता-पिता भी आसानी से निगरानी रख पाते हैं। साथ ही डेटा तथा ब्लड शुगर में अचानक हुई बढ़ोतरी या कमी को विजुअल ग्राफ की जानकारी से रियल-टाइम में अप-टू-डेट रहा जा सकता है। ये एक उपयोगी टूल है, जो माता-पिता को ग्लूकोज के बढ़े हुए स्तर की स्थिति में इंसुलिन की सटीक डोज देने में सशक्त कर सकते हैं। वहीं, उनकी चिंता दूर होती है और आत्मविश्वास भी काफी बढ़ जाता है।’’
आजकल की गैजेट वाली दुनिया में, शारीरिक गतिविधियों को अपने बच्चे की जिंदगी में शामिल करना काफी मुश्किल है। शुक्र है ऐसे में कुछ गेम प्लान हैं जिनके चार आसान स्टेप्स को अपनाने से आप अपने बच्चे को बड़ी ही आसानी से सेहतमंद और सक्रिय दोनों ही रख सकते हैं.