राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद अधिवेशन: पुरानी पेंशन, आउटसोर्सिंग, संविदा कर्मियों के मामलो सहित कई प्रस्ताव हुए पारित।

by Vimal Kishor

 

 

लखनऊ। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद उत्तर का अधिवेशन इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान के मार्स ऑडिटोरियम में संपन्न हुआ। अधिवेशन में प्रदेश के सभी जिलों के प्रतिनिधि एवम् संयुक्त परिषद से संबद्ध 60 से अधिक संगठनों के 1000 से अधिक प्रतिनिधियों ने प्रतिभाग किया। अधिवेशन में सबसे अधिक उपस्थित समाज कल्याण, जनजाति विकास विभाग, खाद्य रसद विभाग, पंचायती राज एवं आशा बहुओं की थी।
संयुक्त परिषद के अधिवेशन को संबोधित करते हुए राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष जे एन तिवारी ने सरकार पर कई तीखे आरोप लगाए। उन्होंने नौकरशाही पर कर्मचारियों की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद भी प्रदेश में कार्यरत हजारों आउटसोर्स कर्मचारियों का न्यूनतम मानदेय निर्धारित नहीं हो रहा है। मानदेय निर्धारण विगत दो वर्षों से सूक्ष्म ,लघु , मध्यम उद्योग विभाग एवं श्रम एवं सेवायोजन विभाग की पत्रावलियों में धूल खा रहा है। सरकारी विभागों में सृजित पदों के सापेक्ष विज्ञापित पदों पर नियमानुसार गठित चयन समिति के माध्यम से चयनित संविदा शिक्षकों को सरकार नियमित नहीं कर रही है।

उन्होंने कहा कि 2001 के बाद मौजूदा सरकार अपने दो बार के कार्यकाल में, संविदा, आउटसोर्स वर्क चार्ज दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के नियमितीकरण की कोई योजना लेकर नहीं आई है। कोरोना संकट काल में कर्मचारियों का नगर प्रतिकर भत्ता बंद कर दिया गया था, 18 महीने का महंगाई फ्रीज कर दिया गया था ,कोरोना संकट काल बीते 2 साल से अधिक का समय हो गया है लेकिन फिर भी सरकार ने नगर प्रतिकर में एवं फ्रीज़ किए गए महंगाई भत्ते पर निर्णय नहीं लिया है। लैब टेक्नीशियन, विपणन निरीक्षक आपूर्ति निरीक्षक, सहित दर्जनों संवर्गों की वेतन विसंगतियों पर मुख्य सचिव समिति निर्णय नही कर रही है।

नगरी परिवहन सेवाओं के हजारों चालक एवं परिचालक नौकरी से हटा दिए गए हैं अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई वार्ता में उनको वापस लिए जाने के निर्णय पर भी नगर विकास विभाग चुप्पी साधे बैठा है। पंचायत की सफाई कर्मचारी की सेवा नयमावलीर क्षेत्रकर्मियों को शिवानी शिवानी भरती पर 300 दोनों का अवकाश नगदी करण मानदेय पर कार्यरत रसोईया चकीदार पीआरडी जवान पंचायत के सफाई कर्मचारी को न्यूनतम 18000 का मानदेय दिए जाने सहित महत्वपूर्णमामले ठंडी बस्ती में पड़े हुए हैं। सरकार उत्तर प्रदेश के बढ़ते कदम का खूब प्रचार प्रसार कर रही है। जे एन तिवारी ने कहा है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने जो भी विकास के कार्य किया है उनमें प्रदेश के कर्मचारियों की अहम भूमिका है।

सरकार कर्मचारियों की लगातार नज़र अंदाज कर रही है। संविदा कर्मियों का शोषण चरम पर है वार्षिक नवीनीकरण के नाम पर समाज कल्याण, जनजाति विकास विभाग,महिला बाल विकास विभाग में सैकड़ो कर्मचारी एवं शिक्षकोंको निकाला जा चुका है। उन्होंने कहा कि राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद सरकार के साथ सहयोग का रवैया अपनाती है लेकिन कर्मचारियों पर शोषण लगातार बढ़ रहा है। जे एन तिवारी ने कहा कि अब संघर्ष के अलावा कोई विकल्प शेष नहीं है। उन्होंने कहा कि जब हद से बढ़ जाती है, दिलों की तनहाइयां ,तब अमन पसंद भी बगावत की बात करते हैं।
आज के अधिवेशनमें कर्मचारियों का उत्पीड़न समाप्त करने ,संविदा कर्मियों एवं आउटसोर्स कर्मचारियों को न्याय दिलाने की लड़ाई का संकल्प लिया है। यह अधिवेशन संकल्प अधिवेशन के नाम से जाना जाएगा। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के वरिष्ठ उपाध्यक्ष नारायण दुबे एवं महामंत्री अरुणा शुक्ला ने अवगत कराया कि सरकार कर्मचारियों की सुनने वाली नही है। पुरानी पेंशन का मामला आधार में लटका हुआ है आशा बहुओं को कोई भी निश्चित राशि प्रतिमाह नहीं दी जाती।

उन्होंने आशा बहुओं के लिए कर्मचारी का दर्जा देने एवं 18000 रुपए प्रतिमाह का मानदेय निश्चित करने की मांग सरकार से किया है। अरूणा शुक्ला ने अवगत कराया कि अधिवेशन में एक प्रस्ताव पारित करके करके सरकार की कर्मचारी विरोधी नीतियों के खिलाफ 25 अक्टूबर को लखनऊ में धरना एवं प्रदर्शन का कार्यक्रम निर्धारित किया गया है। अधिवेशन में राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष जे एन तिवारी ने संयुक्त परिषद की संशोधित कार्यकारिणी की भी घोषणा किया जिसको उपस्थित सदस्यों न सर्व सम्मति से अनुमोदित कर दिया।

अधिवेशन में त्रिलोकी नाथ चौरसिया, वीरेंद्र वीर यादव, विकास शुक्ला,,ओमप्रकाश गौड़, प्रीति पांडे,अयोध्या सिंह,पुनीत शर्मा, अर्पणा अवस्थी, अखिलेश सिंह, विनोद यादव, श्रवण पाल, लक्ष्मी आर्या , कुसुम लता यादव, सरला सिंह, बृजेंद्र यादव ,चंद्र प्रकाश सहित दर्जनों कर्मचारी नेताओं ने अपने विचार व्यक्त किया। अधिवेशन में अखिल भारतीय पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे भी उपस्थित थे।

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