World Press Freedom Day: ना ‘स’ से संतुलन और ना ही ‘च’ से चमक… यही है ‘सच’
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पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है। ये एक जोखिमभरा काम है। कई बार पत्रकारों पर संवेदनशील स्थलों पर हमले कर दिए जाते हैं तो कई बार किसी मुद्दे का पर्दाफाश करने पर पत्रकारों को जेल जाना पड़ जाता है कई पत्रकारों की तो हत्या तक कर दी जाती है।