पीएफआई पर लगे आरोप निराधार, सुबूत हों तो कोर्ट में पेश किया जाए: मौलाना सज्जाद नोमानी

by Vimal Kishor

हमारा देश नए दौर में प्रवेश कर चुका है या इसे जबरन कर दिया गया है। यहां पर अब हर विरोधी आवाज चाहे वामपंथी विचारधारा हो, एस सी एस टी, ओबीसी, क्रिश्चियन हों या मुस्लिम सभी को पैरों तले कुचलने का फैसला हो चुका है। इन सब में सबसे पतली गर्दन मुसलमानों की है इसीलिए मुस्लिम समाज पर सबसे ज्यादा ज्यादती की जा रही है। पुलिस अफसर संजीव भट्ट हों या सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ इन्हें भी सच बोलने के लिए जेल भेजा गया। अकेला मुसलमान आवाज बुलंद नहीं कर रहा, सभी वर्ग के ईमानदार लोग तानाशाही के खिलाफ एकजुट हैं।

लखनऊ,समाचार10 India। इस्लामिक विद्वान मौलाना सज्जाद नोमानी ने कहा कि पीएफआई पर लगे आरोप निराधार हैं, अगर सुबूत हों तो कोर्ट में पेश करना चाहिए। उन्होंने बताया कि हमें क्रोनोलॉजी समझने की जरूरत है 29 अगस्त को कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल हुआ जिसमें आर एस एस के पूर्व प्रचारक यशवंत शिंदे ने कहा कि मैं एक गवाही देना चाहता हूं मैं उस साजिश का हिस्सा रहा हूं कि किस तरह देश के अलग-अलग इलाकों में आर एस एस ने ब्लास्ट कराया, मैं इन सब का चश्मदीद गवाह हूं। इसके बाद 22 सितंबर को उसी कोर्ट में सीबीआई की तरफ से एप्लीकेशन दाखिल होती है जिसमें यह मुतालबा किया जाता है कि यशवंत शिंदे के हलफनामे को कोर्ट खारिज कर दें। देश की नजरें इस मामले पर लगी हुई थी इसी दौरान पीएफआई पर देश भर में छापेमारी होती है और सबकी निगाहें यशवंत शिंदे से हटकर पीएफआई पर लग जाती हैं।

मौलाना सज्जाद नोमानी ने कहा कि आर एस एस के पास इतनी शक्ति है कि अगर वो सकारात्मक रुख दिखाएं तो मुल्क में भाईचारा हो सकता है और हमारा देश आर्थिक रूप से विकास कर सकता है। उन्होंने कहा कि देश में अलग-अलग मत हो सकते हैं लेकिन बातचीत के जरिए हर समस्या का समाधान निकाला जा सकता है। हम आतंकवाद और कट्टरवाद के खिलाफ हमेशा से थे और मरते दम तक विरोध करते रहेंगे।
आतंक और कट्टरपंथी मानसिकता किसी तरफ से भी हो वह निंदनीय है।

मौलाना सज्जाद ने कहा खुदा न करे कि हमारे देश भारत को सिविल वार में झोंकने की साजिश हो रही हो। हमारे देश के खिलाफ विश्व स्तर पर भी षड्यंत्र रचा जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार पीएफआई के खिलाफ सबूतों के साथ कोर्ट में जाती तो बेहतर होता, लेकिन इस तरह मीडिया ट्रायल करने से शंका तो हो जाती है कि “सच्चाई कुछ और है और शायद मकसद कुछ और।” सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग से विदेशी कंपनियां यहां से अपना बिजनेस समेटकर जा रही हैं जिससे देश को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा, हम देश की तरक्की चाहते हैं।

मुस्लिम विद्वान मौलाना सज्जाद नोमानी ने कहा कि मोहन भागवत जी को चाहिए था कि वह बड़े मुस्लिम संगठनों से बातचीत करते, इसके साथ ही वह SC-ST और दूसरे वर्गों से भी बातचीत करते, जिसके सकारात्मक परिणाम निकलते। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक देश में क्या अब कोई मुखालिफ राय भी नहीं दी जा सकती? ऐसा कोई सोच भी नहीं सकता था। जहां भी कोई सरकार विरोधी आवाज उठती है, उसे तानाशाही तरीके से दबाया जा रहा है। उन्होंने देश के अमन पसंद लोगों से अपील करते हुए कहा कि वह इस जुल्म के खिलाफ एकजुट होकर आवाज उठाएं ताकि तानाशाही को खत्म कर देश में लोकतांत्रिक मूल्यों को बहाल किया जाए।

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