जटिल डायबिटीज के केसों को मैनेज करने के लिए प्रशिक्षित एंडोक्रिनोलॉजिस्ट की भारी कमी

by Vimal Kishor

 

लखनऊ,समाचार10 India। डायबिटीज़ वैश्विक स्तर पर सबसे तेजी से बढ़ती स्वास्थ्य चुनौतियों में से एक के रूप में उभर रहा है, इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन के अनुसार, 2021 में भारत में लगभग 74 मिलियन लोग डायबिटीज़ से पीड़ित थे, और यह संख्या बढ़ने की उम्मीद है। लखनऊ में रीजेंसी हेल्थ में इंटरनल मेडिसिन के डॉ. दुर्गा प्रसाद सिंह ने जोर देकर कहा, “छोटे शहरों में डायबिटीज का मैनेजमेंट एक्सपर्ट और डायबिटीज शिक्षकों की सीमित उपलब्धता के कारण कई चुनौतियों को पैदा करता है। मरीजों को अक्सर आवश्यक हेल्थकेयर तक पहुँचने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, जिससे समस्या और बढ़ जाती है। हालांकि, डायग्नोसिस सेवाओं तक पहुँच में सुधार, बेहतर रोगी शिक्षा की पेशकश, और रिमोट कंसलटेंशन के लिए टेक्नोलॉजी का उपयोग करके इन क्षेत्रों में डायबिटीज केयर की गुणवत्ता में काफी सुधार किया जा सकता है।”

भारत में डायबिटीज़ महामारी के लिए कई फैक्टर जिम्मेदार हैं, जिनमें शहरीकरण, गतिहीन लाइफस्टाइल, अस्वस्थ्य डाइट और आनुवंशिक ट्रेंड शामिल हैं। टाइप 2 डायबिटीज का बढ़ना केवल शहरी या समृद्ध आबादी तक सीमित नहीं है; बल्कि यह अब छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में भी फैल चुका है। दुर्भाग्य से इन क्षेत्रों में डायबिटीज के बढ़ते केसों से निपटने के लिए आवश्यक संसाधनों की कमी है।

टियर 2 और टियर 3 शहरों में डायबिटीज के मैनेजमेंट में एक महत्वपूर्ण चुनौती यह है कि इन जगहों पर विशेष हेल्थकेयर प्रोफेसनल्स की कमी है। हालाँकि सामान्य डॉक्टर व्यापक रूप से उपलब्ध हैं, लेकिन जटिल डायबिटीज के केसों को मैनेज करने के लिए प्रशिक्षित एंडोक्रिनोलॉजिस्ट की भारी कमी है। भारत में 6,500 से भी कम एंडोक्रिनोलॉजिस्ट हैं, जो हैं भी वो अधिकांश टियर 1 शहरों में हैं। इस कमी का मतलब है कि छोटे शहरों में मरीज़ डायबिटीज से संबंधित कॉम्प्लिकेशन, जैसे न्यूरोपैथी, रेटिनोपैथी और किडनी डैमेज के मैनेजमेंट के लिए आवश्यक एक्सपर्ट केयर तक पहुँचने के लिए संघर्ष करते हैं।

एक्सपर्ट की कमी के अलावा इन क्षेत्रों में डायबिटीज़ एजुकेटर्स और काउंसलर्स की भी कमी है। डायबिटीज मैनेजमेंट इलाज से हटकर होता है और इसके लिए मरीज़ को स्वयं की निगरानी, इंसुलिन एडमिनिस्ट्रेशन, डाइट में बदलाव और लाइफस्टाइल में संशोधन के बारे में शिक्षा की आवश्यकता होती है। प्रशिक्षित डायबिटीज शिक्षकों के बिना छोटे शहरों में कई मरीजों को अपनी बीमारी को प्रभावी ढंग से मैनेज करने के लिए आवश्यक मार्गदर्शन नहीं मिलता है। शिक्षा की इस कमी के कारण उपचार योजनाओं का पालन ठीक से नहीं हो पाता है, जिससे कॉम्प्लिकेशन का खतरा बढ़ जाता है।

You may also like

Leave a Comment