कांग्रेस का भी वही हश्र होगा जो अनुच्छेद 370 और 35ए का हुआ: सीएम योगी

by Vimal Kishor

 

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश के लखनऊ में छठ पूजा के एक समारोह में अनुच्छेद 370 और 35ए की बहाली की बात करने वालों की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि ये लोग घाटी को आतंकवाद से मुक्त नहीं देखना चाहते हैं।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस पर निशाना साधते हुए कहा कि ये लोग घाटी में शांति नहीं देखना चाहते हैं. कांग्रेस और उसके सहयोगी दल घाटी को आतंकवाद की ओर धकेलने में लगे हुए हैं। मुख्यमंत्री लक्ष्मण मेला मैदान में अखिल भारतीय भोजपुरी समाज की तरफ से आयोजित किए गए कार्यक्रम के दौरान छठ पूजा के मौके पर संबोधन के दौरान ये बात कही।

उन्होंने कांग्रेस और सहयोगी दल की तरफ से अनुच्छेद 370 और 35ए को बहाल करने की बयानबाजी को लेकर कड़ी आलोचना की है. कुछ समय पहले ही जम्मू-कश्मीर विधानसभा में अनुच्छेद 370 और 35ए को बहाल करने का प्रस्ताव रखा गया. इसके बारे में जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस और उसके सहयोगी दल आतंकवाद को घाटी से खतम नहीं होने देना चाहते हैं।

जम्मू कश्मीर का विकास नहीं देख पा रहे हैं
मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस से जम्मू कश्मीर का विकास नहीं देखा जा रहा है. वो घाटी के बच्चों का उज्ज्वल भविष्य बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं. देश को अलग करने की इनकी नीतियां कभी पूरी नहीं हो पाएंगी. विघटनकारी नीतियों को देश कभी नहीं मानेगा. उन्होंने कहा कि देश की 140 करोड़ जनता हर हाल में यहां की एकता तथा अखंडता के लिए दृढ़ता से खड़ी रहेगी. देश के लोग इससे खिलवाड़ करने वालों को करारा जवाब देंगे।

त्योहारों के माध्यम से साथ आते हैं
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कांग्रेस की तरफ से अगर इस प्रस्ताव का विरोध नहीं किया जाएगा तो ये भी अनुच्छेद 370 और 35ए की तरह हटा दिया जाएगा. त्योहारों के समय में ही हम सभी साथ आते हैं. धर्म और जाति के नाम पर बंटने के बाद ही लोग हम पर आसानी से राज कर लेते हैं. कुछ लोग देश की पहचान को मिटाने के लिए काम कर रहे हैं, लेकिन हमें सच्चे भारतीय की तरह इसे बर्दाश्त करने की जरूरत नहीं है।

पांच अगस्त 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में अनुच्छेद 370 और 35ए कश्मीर घाटी से समाप्त करके आतंकवाद के खिलाफ अंतिम कील ठोकने का काम किया गया. संसद के इस ऐतिहासिक फैसले के बाद संविधान से जम्मू-कश्मीर के विशेष राज्य का दर्जा समाप्त कर दिया गया।

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