रामनगर/वाराणसी,समाचार10 India। 26 मई वर्ष 2014 को जब लोकसभा क्षेत्र वाराणसी के सांसद नरेन्द्र दामोदर दास मोदी दिल्ली में प्रधानमंत्री पद का शपथ ले रहे थे। उस समय देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की गृहनगरी रामनगर का हर व्यक्ति रामनगर के समुचित विकास के साथ-साथ बलुआघाट के पक्का होने से लेकर सुन्दरीकरण तक के सपने संजोने लगा था। लेकिन सच तो यह है कि रामनगर के लोगों को आज तक मायूसियां ही हाथ लगी। देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के नाम से प्रचलित इस बलुआघाट की दुर्दशा को देख न तो क्षेत्र के विधायक सौरभ श्रीवास्तव की आत्मा कांपी और न ही जिला प्रशासन के रोंगटे खड़े हुए।
और तो और न ही भारत सरकार अथवा उत्तर प्रदेश सरकार की योजनाओ का लाभ बलुआघाट को मिल सका।बलुआघाट की दुर्दशाओ को देखकर लोगो क्रमशः अशोक साहनी, अयोध्या प्रसाद निषाद, सभासद मुन्ना निषाद, रमेश साहनी, सुरेश साहनी, मुरारी निषाद, अजय साहनी, अमित पटेल, आनन्द कश्यप, रामबाबू सोनकर, धीरेन्द्र प्रताप सिंह, आनन्द यादव ने आशंका जताई कि समय रहते बलुआघाट को पक्का कराकर सुन्दरीकरण नही कराया गया तो किसी दिन बड़ी दुर्घटना से इन्कार नही किया जा सकता।
नगर के समाजसेवी धनन्जय साहनी ने बताया कि बलुआघाट को लोग शास्त्री घाट भी कहते हैं पूर्व समय में इसको पक्का कराने से लेकर सुन्दरीकरण तक के लिए जिला प्रशासन को पत्रक भी दिया गया था लेकिन आज तक इस दुर्व्यवस्था को देखने कोई सक्षम अधिकारी नही आया। समय रहते अगर जनप्रतिनिधियों ने बलुआघाट की दुर्दशा की ओर शासन का ध्यान आकृष्ट नही कराया तो हम सभी नगरवासी आन्दोलन को बाध्य होंगे। इसी क्रम में धनन्जय साहनी ने यह भी बताया कि बलुआघाट के पक्का व सुन्दरीकरण हो जाने से एकओर जहाँ पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा वहीं हजारों लोगों के रोजगार की उम्मीदें भी बढ़ जाएंगी।