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चेन्नई, 19 जुलाई : दिवंगत कवि कुंवर बेचैन की कविता का एक अंश है, ‘…क्यों हथेली की लकीरों से हैं आगे उंगलियां, रब ने भी किस्मत से आगे आपकी मेहनत रखी…’ उन्होंने इस काव्यांश में इंसान की मेहनत के महत्व का