मोनरोविया,समाचार10 India-रिपोर्ट. शाश्वत तिवारी। पश्चिम अफ्रीकी देश लाइबेरिया के महिला विधायी कॉकस ने भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका (आईबीएसए) की सरकारों से महिलाओं के राजनीतिक नेतृत्व का विस्तार करने, विधायी प्रक्रियाओं को मजबूत करने और लैंगिक-संवेदनशील शासन को बढ़ावा देने के लिए 10 लाख अमेरिकी डॉलर की एक परियोजना हासिल की है।
इस पहल का वित्तपोषण आईबीएसए कोष के माध्यम से किया जाएगा, जिसका समन्वय संयुक्त राष्ट्र दक्षिण-दक्षिण सहयोग कार्यालय द्वारा किया जाएगा। इस कार्यक्रम में सांसदों, सरकारी अधिकारियों, राजदूतों, नागरिक समाज के नेताओं और अंतर्राष्ट्रीय भागीदारों ने भाग लिया। 2025 से 2027 तक चलने वाली यह परियोजना आठ काउंटियों में शुरू की जाएगी।
लाइबेरिया स्थित भारतीय दूतावास ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा लाइबेरिया में महिला नेतृत्व के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण। विदेश मंत्रालय में ‘लाइबेरिया में महिला विधायक: आवाज़, नेतृत्व और लिंग-संवेदनशील शासन को बढ़ावा देना’ विषय पर आईबीएसए निधि परियोजना पर आधिकारिक रूप से हस्ताक्षर किए गए। भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका के संयुक्त राष्ट्र दक्षिण-दक्षिण सहयोग के अंतर्गत, आईबीएसए निधि से 1 मिलियन अमेरिकी डॉलर की सहायता से इस परियोजना को संयुक्त राष्ट्र महिला लाइबेरिया द्वारा लाइबेरिया की महिला विधायी कॉकस के साथ साझेदारी में कार्यान्वित किया जाएगा।
इसकी एक प्रमुख विशेषता एक विधायी इंटर्नशिप कार्यक्रम का शुभारंभ है, जिसमें युवा महिलाओं को कॉकस सदस्यों और समितियों के साथ रखा जाएगा, जिससे उन्हें संसदीय प्रक्रियाओं और नेतृत्व के अवसरों से परिचित कराया जाएगा। इसमें महिलाओं के लिए खास शिक्षण, मार्गदर्शन और अध्ययन यात्राओं की भी योजना बनाई गई है।
लाइबेरिया में भारतीय राजदूत मनोज बिहारी वर्मा ने लाइबेरिया में महिला सशक्तिकरण के प्रति भारत की प्रतिबद्धता दोहराई और संयुक्त राष्ट्र की पहली पूर्ण महिला शांति सेना की तैनाती जैसे पिछले समर्थन का उल्लेख किया। उन्होंने आईबीएसए द्वारा वित्त पोषित इस परियोजना को दक्षिण-दक्षिण सहयोग का एक उदाहरण बताया। बता दें कि भारत खुद एक विकासशील देश होते हुए जरूरतमंद ‘ग्लोबल साउथ’ के देशों के विकास एवं उत्थान के लिए प्रतिबद्ध है। इसी क्रम में आईबीएसए के तहत भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका एक विकासात्मक और त्रिपक्षीय सहयोग पहल का हिस्सा बने हुए हैं, जिसका प्रमुख उद्देश्य दक्षिण-दक्षिण सहयोग को बढ़ावा देना और अन्य विकासशील देशों की मदद करना है।