लखनऊ। बीते रविवार को.वंचित और दबे कुचले वर्ग के युवाओं को उद्धामिता से जोड़कर अपने समाज को सम्रद्ध करने के उद्धेश्य से आज उनकी मानसिक जड़ता को तोडने के लिये एक दिवसीय “ब्रेन स्टोर्मिंग कार्यशाला” का आयोजन इरादत नगर मोहन मीकिन कॉलोनी डालीगंज वाल्मीकि सभागार में किया गया. कार्यशाला में दलित वर्ग के सफाई कामगार समाज के लगभग 60 युवाओं के साथ संवाद किया गया। कार्यशाला का आयोजक “आदि अम्बेडकर विद्यार्थी फाउंडेशन’ व संयोजक “ राष्ट्रिय भूमि, श्रम व न्याय आंदोलन” थे।
कार्यशाला की शुरुवात करते हुये आदि अम्बेडकर विद्यार्थी फाउंडेशन’ के संस्थापक अमित नायब ने कार्यशाला के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुये ग्रुप कैप्टन दिनेश चंद्रा को कार्यशाला की प्रस्तावना रखते हुये शेड्यूल्ड कास्ट सब प्लान पर अपनी बात रखने के लिये आमंत्रित किया।
“ राष्ट्रिय भूमि, श्रम व न्याय आंदोलन” के ग्रुप कैप्टन दिनेश चंद्रा ने कार्यशाला की प्रस्तावना रखते हुये बताया कि डॉ अम्बेडकर ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जाति के विकास और अधिकारों को सुरक्षित करने के लिये संविधान में विशेष व्यवस्था की है. जिसकी परिणिति है कि 1979 में तत्कालीन कांग्रेस की सरकार ने दलित वर्ग के समग्र विकास हेतु स्पेशल कॉम्पोनेन्ट प्लान को प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि 2014 के बाद स्पेशल कॉम्पोनेन्ट प्लान को बदल कर अनुसूचित जाति व अनुसूचित जाति के लिये अगल अलग नाम दिये और अब यह शेड्यूल्ड कास्ट सब प्लान और ट्राइबल सब प्लान के नाम से जाने जाते हैं।
ग्रुप कैप्टन दिनेश चंद्रा अपनी बात को आगे बढ़ाते हुये बताया कि इन योजनाओं में अनुसूचित और अनुसूचित जाति की आबादी के अनुपात में केन्द्र व राज्यों की सरकारों को वार्षिक बजट से धनराशी का आवंटन करके उसे इन वर्गों के समग्र विकास में खर्च करना होता है लेकिन उचित कानून के आभाव में यह नहीं हो रहा. कई राज्यों ने इन योजनाओं के आवंटन व उपयोग के लिये कानून बना दिया है जिसके काफी अच्छे नतीजे रहे हैं. लेकिन उत्तर प्रदेश व केन्द्र के स्तर पर अभी तक यह नहीं हो पाया है जिसके लिये दलित आंदोलन लगातार प्रयास कर रहे हैं. जिसके अच्छे परिणाम निकलने की उम्मीद है।
कार्यशाला को आगे बढ़ाते हुये “ राष्ट्रिय भूमि, श्रम व न्याय आंदोलन” के अरुण खोटे ने शेड्यूल्ड कास्ट सब प्लान पर अपनी बात रखते हुये बताया कि इस योजना में सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि यह पूर्ण रूप से दलित वर्ग के व्यक्ति, परिवार व समुदाय को समर्पित है. इसमें कोई भी दलित व्यक्ति, परिवार या समुदाय अपनी आवशयकता के अनुसार योजना बना कर सरकार से उसे पूरा करने के लिये इस योजना के तहत राशि का इस्तेमाल की मांग कर सकता है.
इसका सबसे अच्छा उदाहरण तेलंगाना का है जहाँ राज्य सरकार दलित वर्ग को इस योजना को कानून बनने के बाद से प्रत्येक दलित परिवार को १० लाख रुपये एक मुश्त दे रही है जिसे वापस नहीं करना होगा. राज्य सरकार ने इस मद से दलित आदिवासी छात्रों के लिये आवासीय विधालय भी बनवाये हैं. इसके आलावा अनेक योजनाओं को सफत्ल्तापुर्वक चला रही है।
“श्रमजीवी समाज से सम्रद्ध समाज” की अवधारणा को रखते हुये अरुण खोटे ने बताया कि दलित वर्ग अभी तक अपने विकास के लिये सिर्फ सरकारी नौकरियों पर ही निर्भर रहा है. निजीकरण के चलते सरकारी नौकरियों में आरक्षण का कोई बड़ा प्रभाव नहीं रह गया है. अब समय आ गया है कि दलित वर्ग के युवा अपने बेहतर भविष्य के लिये अन्य क्षेत्रों को विकल्प के रूप में चुनें. अभी तक दलित वर्ग के युवाओं में एक प्रकार की परम्परागत मानसिक गुलामी का प्रभाव है और वह उद्धामिता के क्षेत्र में बड़े स्तर के प्रयोगों से डरता है. सुचना क्रांति के इस दौर में अब इस भय से निकल कर बड़े सपने देखने होंगे।
सारी विपरीत स्थितियों के बावजूद इस दौर में इस बात की प्रबल संभावनाएँ हैं जिसमें दलित वर्ग के युवा सफल उद्धमी बन सकते हैं. जिसके लिये हमें एक विशेष प्रक्रिया का इस्तेमाल करना होगा जो हमारे युवाओं को मानसिक जड़ता व नकारात्मकता से मुक्त कर सके। दलित वर्ग के युवाओं के अंदर एक उद्धामितापूर्ण मानसिकता को विकसित किये जाने की आवशयकता पर जोर देते हुये अरुण खोटे ने कहा कि अब हमें शारीरिक श्रम के माध्यम से आजीविका चलाने की मानसिकता से आगे जाना होगा और अपनी बुद्धि के ज्ञान के आधार पर नये क्षेत्रों में उद्धम कि सम्म्भावानाओं पर केंद्रित करना होगा।
कार्यशाला के अंत में बाल्मीकि समाज के युवाओं की एक तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन करके उन्हें मानसिक जड़ता से मुक्ति, उद्धममिता से परिपूर्ण मानसिकता, उद्धम चयन, सम्म्भावानाएं व चुनौतियाँ, कार्य योजना व सरकारी योजना के अवगत करते हुये उनके प्रोजेक्ट तैयार कराये जाने का प्रयास किया जायेगा। यह भी तय किया गया कि सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के दौरान आने वाले गतिरोध व बाधाओं के लिये विशेष प्रकार की रणनीति तैयार करके यह सुनिश्चित किया जायेगा कि आवेदन करने वाले सभी युवाओं की योजना को स्वीकार किया जाये।