फरवरी 2023 के बाद से रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं हुआ है. उससे पहले मई 2022 से लेकर फरवरी 2023 तक आरबीआई ने रेपो रेट में 2.50 फीसदी का इजाफा किया था. जिसके बाद रेपो रेट 6.5 फीसदी पर आ गए थे.भले ही रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने रेपो रेट में लगातार 10वीं बार अपनी ब्याज दरों में कोई बदलाव ना किया हो, लेकिन अपने रुख में बदलाव करते हुए न्यूट्रल कर दिया है. इसका मतलब है कि दिसंबर या फिर फरवरी के महीने में ब्याज दरों में कटौती के संकेत दे दिए हैं. आरबीआई गवर्नर ने इस एमपीसी की घोषणा में ब्याज दरों की कटौती का स्टेज पूरी तरह से तैयार कर दिया है. इस ऐलान के बाद से शेयर बाजार में तेजी देखने को मिल रही है. निफ्टी में 167 अंकों का इजाफा देखने को मिल रहा है. वहीं दूसरी ओर सेंसेक्स 82 हजार अंकों के पार चला गया है।
आरबीआई एमपीसी के 6 में से 5 सदस्यों ने ब्याज दरों में कोई बदलाव ना करने का फैसला लिया है. फरवरी 2023 के बाद से रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं हुआ है. उससे पहले मई 2022 से लेकर फरवरी 2023 तक आरबीआई ने रेपो रेट में 2.50 फीसदी का इजाफा किया था. जिसके बाद रेपो रेट 6.5 फीसदी पर आ गए थे. जो कि अभी तक उसी लेवल पर बनी हुई है. वहीं उम्मीदें की जा रही थी कि यूरोपियन सेंट्रल बैंक और फेड रिजर्व की ओर ब्याज दरों में कटौती के बार आरबीआई भी अपनी पॉलिसी में बदलाव करेगा. लेकिन ऐसा देखने को नहीं मिला।
इकोनॉमी रहेगी बम-बम
वहीं आरबीआई गवर्नर ने जानकारी देते हुए कहा कि आने वाली तिमाहियों में इकोनॉमी काफी अच्छी रह सकती है. इसलिए उन्होंने आने वाली तिमाहियों के अपने अनुमान में इजाफा कर दिया है. तीसरी तिमाही में देश की इकोनॉमी 7.4 फीसदी रह सकती है, जो पहले 7.2 फीसदी थी. वहीं चौथी तिमाही में देश की जीडीपी ग्रोथ 7.4 रहने का अनुमान लगाया गया है, जो पहले 7.3 रखा गया था. अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में देश की ग्रोथ का अनुमान 7.3 फीसदी रखा गया है जो पहले 7.2 फीसदी रखा गया था. वैसे आरबीआई ने मौजूदा वित्त वर्ष की ग्रोथ में कोई बदलाव ना करते हुए 7.2 फीसदी रखा हुआ है. वहीं दूसरी ओर आरबीआई ने दूसरी तिमाही में ग्रोथ अनुमान को 7.2 फीसदी से कम कर 7 फीसदी कर दिया है।
महंगाई के अनुमान में इजाफा
वहीं दूसरी ओर आरबीआई ने तीसरी तिमाही की महंगाई के अनुमान में इजाफा किया है. आरबीआई गवर्नर के अनुसार देश में तीसरी तिमाही में महंगाई दर 4.8 फीसदी रह सकती है. पहले ये अनुमान 4.7 फीसदी रखा गया था. वहीं दूसरी ओर चौथी तिमाही में महंगाई दर के अनुमान को घटाकर 4.2 फीसदी कर दिया गया है. जो पहले 4.3 फीसदी रख दिया गया है. वहीं अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में महंगाई दर अनुमान को कम कर 4.3 फीसदी कर दिया गया है. जो पहले 4.4 फीसदी किया गया था. मौजूदा वित्त वर्ष में महंगाई दर के अनुमान में कोई बदलाव नहीं किया गया है, जोकि 4.5 फीसदी है।
स्टांस बदलते ही शेयर बाजार में तेजी
भले ही आरबीआई ने अपनी ब्याज दरों में कोई बदलाव ना किया हो, लेकिन अपने स्टांस को न्यूट्रल कर लिया है. जिसके बाद से शेयर बाजार में तेजी देखने को मिल रही है. सेंसेक्स 300 से ज्यादा अंकों की तेजी के साथ 81,976.18 अंकों पर कारोबार कर रहा है. कारोबारी सत्र के दौरान सेंसेक्स 82,191.78 अंकों पर पहुंच गया. वहीं दूसरी नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का प्रमुख सूचकांक निफ्टी 121.35 अंकों की तेजी के साथ 25,134.50 अंकों पर कारोबार कर रहा है. जबकि कारोबारी सत्र के दौरान निफ्टी 25,190.35 अंकों के साथ दिन के हाई पर पहुंच गया था।
क्यों थी कटौती की उम्मीदें
देश के लोगों को आरबीआई को रेपो रेट में कटौती की इसलिए थी, क्योंकि जुलाई और अगस्त के महीने में महंगाई के आंकड़ें 4 फीसदी से नीचे देखने को मिले थे. ऐसे में आम लोगों ने उम्मीदें लगाई हुई थी कि आरबीआई की ओर से अब तक जो जो स्टांस लिए गए हैं, उससे महंगाई के आंकड़ें कंट्रोल हुए हैं. ऐसे में आरबीआई इस बार ब्याज दरों में कटौती कर सकता है. लेकिन ऐसा देखने को नहीं मिला है. जानकारों की मानें तो मौजूदा वित्त वर्ष में आरबीआई रेपो रेट में कोई कटौती नहीं करेगा।
इसका मतलब है कि अगले वित्त वर्ष तक आम लोगों को ब्याज दरों में कटौती का ऐलान कर सकता है. वहीं दूसरी ओर जिस तरह से जियो पॉलिटिकल टेंशन बढ़ा है. उसकी वजह से कच्चे तेल की कीमतों में तेजी देखने को मिली है. ऐसे में देश में महंगाई बढ़ सकती है. ऐसे में आरबीआई काफी सतर्कता बरत रहा है. वैसे आरबीआई गवर्नर ने इससे पहले की पॉलिसी मीट के बार कहा था कि जरूरी नहीं है कि जो फैसले दुनिया के दूसरे सेंट्रल बैंक ले रहे हैं, वो भी लें. भारत की जियोग्राफी से लेकर डेमोग्राफी बाकी देशों से अगल है. भारत की पॉलिसी भी उसी तरीके से तय होगी।