लखनऊ। उत्तर प्रदेश के सरकारी अफसरों पर अब योगी सरकार का चाबुक चलने वाला है. योगी सरकार के नए आदेश के मुताबिक, कर्मचारियों और अफसरों की संपत्ति की जांच की जाएगी. उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी और अफसर की तरफ से सरकार को उपलब्ध कराया गया संपत्ति का ब्यौरा सही है या गलत, इसकी अब रेंडम जांच भी होगी।
उत्तर प्रदेश के सरकारी अफसरों पर अब योगी सरकार का चाबुक चलने वाला है. योगी सरकार के नए आदेश के मुताबिक, कर्मचारियों और अफसरों की संपत्ति की जांच की जाएगी. उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी और अफसर की तरफ से सरकार को उपलब्ध कराया गया संपत्ति का ब्यौरा सही है या गलत, इसकी अब रेंडम जांच भी होगी. भ्रष्टाचार रोकने को योगी आदित्यनाथ सरकार के इस कदम से हर विभाग में हड़कंप मच गया है. अब सरकारी कर्मचारियों के पैन नंबर से लेकर सारी प्रॉपर्टी खंगाली जाएगी।
अब इसी तरीके के आधार पर संदिग्ध अफसर और कर्मचारियों की पूरी जांच की जाएगी. योगी सरकार ने हर विभाग और उसके कर्मचारियों पर सतर्कता से नजर रखने का निर्णय लिया है।
30 सितंबर तक का दिया गया था समय
इस काम में प्राधिकरण और आवास विकास की मदद ली जाएगी. प्रदेश में कार्मिक विभाग ने सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को अपनी संपत्ति का ब्यौरा देने के लिए 30 सितंबर तक का समय दिया था जिसमें 97% लोगों ने जानकारी दी है. अब इस बात की सरकार जांच करेगी कि जिस चल-अचल संपत्ति की जानकारी या ब्योरा कर्मचारियों और अधिकारियों ने सरकार के पोर्टल पर दिया है वो कितना सही है।
बचे हैं 40,000 कर्मचारी
प्रदेश में अब केवल 40,000 कर्मचारी बचे हैं, जिन्होंने 30 सितंबर की डेडलाइन समाप्त होने के बावजूद अपनी संपत्ति की जानकारी नहीं दी. ऐसे कर्मचारियों को अब सितंबर महीने का वेतन नहीं दिया जाएगा. फिलहाल यह आंकड़ा अभी कुछ और आगे बढ़ सकता है. अधिकारियों का कहना है कि मंगलवार की शाम तक फाइनल आंकड़ा सामने आया है, उसमें यह संख्या 97% तक पहुंच गई है. मिली जानकारी के मुताबिक, मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश के जिन भी कर्मचारियों ने अपने चल अचल संपत्ति का विवरण नहीं दिया है. उनको सितंबर महीने का वेतन नहीं दिया जाएगा. इसके अतिरिक्त उनके प्रभारी पर भी कार्रवाई की जाएगी. इसके साथ ही भविष्य में यह जांच भी होगी कि उन्होंने अपनी संपत्ति का ब्योरा क्यों नहीं दिया है।