‘निचली अदालतों और हाई कोर्ट के स्टे ऑर्डर अपने आप रद्द नहीं होते’, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संवैधानिक अदालतों को मामलों का फैसला करने के लिए कोई समयसीमा तय नहीं करनी चाहिए, क्योंकि जमीनी स्तर के मुद्दे केवल संबंधित अदालतों को ही पता होते हैं और ऐसे आदेश केवल असाधारण परिस्थितियों में ही पारित किए जा सकते हैं।