लखनऊ,समाचार10 India। लखनऊ स्थित रीजेंसी हॉस्पिटल के डॉक्टर्स की टीम ने हाल में एक गर्भवती महिला को नया जीवनदान दिया है। वह महिला जानलेवा समस्या से जूझ रही थी, जिससे उसे और उसके होने वाले बच्चे को जान का खतरा पैदा हो गया था। भोपाल की 28 वर्षीय पूजा (बदला हुआ नाम) को पित्ताशय में पथरी के कारण पित्ताशय में छेद की दुर्लभ बीमारी थी। इस कारण, उन्हें पिछले एक साल से पेट में भयानक दर्द होता था। मरीज में इस स्थिति के कारण ‘बाइलरी ट्रैक डिसीज’ और एक्यूट कोलेसाइटिसिस (पित्ताशय में सूजन या जलन) की समस्या भी पैदा हो गई थी।
उन्हें गर्भावस्था से पहले ही दर्द महसूस हो रहा था, जिस पर उन्होंने भोपाल में एक स्थानीय अस्पताल में दिखाया था। लेकिन वहां उनकी समस्या की पहचान नहीं हो सकी थी और केवल गैस और एसिडिटी की दवाइयां दी जा रही थीं। लेकिन डॉक्टर को दिखाने और दवाइयां लेने के बाद भी दर्द लगातार बना रहा। अल्ट्रासाउंड के बाद महिला में एक्युट कोलेसिसटिसिस का पता चला। मरीज को तुरंत सर्जरी कराने की सलाह दी गई।
अपने डॉक्टर की सलाह पर वह लखनऊ के रीजेंसी हॉस्पिटल पहुंची और वहां जनरल और लैप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ. मंजुश कुमार श्रीवास्तव, एम.एस. एफआईएजीईएस (ऑनरेरी) से मुलाकात की। डॉ. श्रीवास्तव ने अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह दी और पाया कि पित्ताशय नष्ट हुआ है। उन्होंने अपनी टीम के साथ सर्जरी की योजना बनाई और पथरी व पित्ताशय को सफलतापूर्वक निकाल दिया और इस तरह मां और गर्भस्थ शिशु के जीवन को बचा लिया।
डॉ. मंजुश कुमार श्रीवास्तव का कहना है, “वह हमारे पास भोपाल से आई थीं और एक सप्ताह या 10 दिन से भयंकर दर्द में थीं। चूंकि उनकी बीमारी की पहचान नहीं की गई थी, इसलिए उन्होंने गर्भावस्था की योजना बनाई। उनके तीसरे महीने में लक्षण उभरने लगे। उनकी दूसरी तिमाही के दौरान उनकी सर्जरी की गई, यह इस प्रकार की सर्जरी के लिए सही समय माना जाता है। यह बहुत जटिल केस था और हमें तुरंत निर्णय लेना था, क्योंकि हमें महिला और उनके बच्चे की जान बचानी थी। सब कुछ सही हुआ। हमने ल्युमेन में बुरी तरह फंसे हुए एक स्टोन को निकाल दिया, जिससे परेशानी पैदा हो रही थी। लैप्रोस्कोपिक सर्जरी की गई और उन्हें केवल 2 दिन के लिए भर्ती करने के बाद डिस्चार्ज कर दिया गया था। मरीज अब पूरी तरह स्वस्थ है और हमने उन्हें कम-से-कम एक माह के लिए तैलीय और वसा वाले भोजन से दूर रहने की सलाह दी है।”
गर्भावस्था में बाइलेरी ट्रैक डिसीज के मामले 0.05 प्रतिशत से 0.3 प्रतिशत हैं। व्यस्कों में एक्यूट कोलेसिसटिसिस के 3% से 10% मामलों में से पित्ताशय में छेद की समस्या सामने आती है। हालांकि, गर्भावस्था में यह यदा-कदा ही सामने आती है। एक्यूट कोलेसिसटिसिस दूसरी सबसे आम नॉन-गाइनेकोलॉजिकल स्थिति है, जिसमें सर्जरी की आवश्यकता होती है ।
टूटे हुए पित्ताशय के लक्षण गर्भावस्था में भ्रमित करने वाले हो सकते हैं। चूंकि पित्ताशय का टूटना गर्भावस्था में असामान्य है, इसलिए सही पहचान और उपचार में कभी-कभी देर हो सकती है। इससे प्रसवपूर्व मृत्यु भी हो सकती है। गर्भावस्था में पेरीटोनाइटिस (पेट की झिल्ली का रोग) के लिए अत्यधिक संदेह और शीघ्र सर्जरी उपचार का सही तरीका हो सकते हैं। इसका संबंध मां और गर्भस्थ शिशु की मृत्यु से भी हो सकता है। लेप्रोस्कोपिक कोलेसिस्टेकटोमी के कई लाभ हैं और यह गर्भावस्था के दौरान ओपन कोलेसिस्टेकटोमी का सुरक्षित विकल्प है।