हमारे देश को स्वतंत्र हुए 74 वर्ष हो गए इस बार 15 अगस्त 2021 को हम आज़ादी के 75वे वर्ष में प्रवेश करेंगे।इन 74 वर्षों में भी हमने स्वतंत्रता दिवस को बड़ी धूम धाम से मनाया हर 15 अगस्त पर हम आज़ादी का जश्न एक जज़्बे के साथ मनाते आएं हैं जज़्बा होता था अपनी जीत का ऐसी जीत जो अंग्रेजों से हमने खून बहा कर हासिल की थी वो इसलिए ताकि हम आज़ादी में सांस ले सकें गुलामी की जंजीरों से बाहर आ सके लेकिन सवाल यही है कि क्या हम वाकई में आज़ाद हो गए हैं क्या इसी आज़ादी के लिए हमने इतनी कुर्बानी दी क्या वाकई ये आज़ादी वही आज़ादी है।
जिसका हम जश्न मना रहे हैं ये सवाल वास्तव में चुभते हुए सवाल हैं जिसका जवाब हम हर 15 अगस्त पे तलाशते ज़रूर हैं पर वो मिलता नही है और क्यों नही मिलता ये बात भी हम जानते हैं ऐसा इसलिए नही हो पाता क्योंकि बिना गुलामी के कोई कार्य हो पाना ही संभव नही है गुलामी ना हो तो हम आज़ाद रहेंगे अपने कर्म से कर्तव्य से और ज़िम्मेदारियों से इसलिए ऐसी आज़ादी का क्या करना?इसलिए गुलामी कहीं कहीं अच्छी होती है नौकरी में साहब की और देश मे संविधान की और नेताओं की पर इसमे थोड़ा बदलाव होना ज़रूरी है जो हमारे देश के नेताओं को सोचना चाहिए क्योंकि कभी कभी हम ये सोचने पे मजबूर हो जाते हैं के अपनो की गुलामी से बेहतर तो अंग्रेज़ो की गुलामी थी जहां हर हिंदुस्तानी संघर्ष करता था यहां तो बड़े बड़े मजे मार रहे हैं और छोटे बोझ के तले मरे जा रहे हैं इसलिए जागो साहब जागो ताकि अगला स्वतंत्रता दिवस भारत वास्तव में दिल से आज़ादी का जश्न मनाए।