आबकारी नीति मामला: CM केजरीवाल रिहा होंगे या जेल में ही रहेंगे? SC आज सुनाएगा फैसला

by Vimal Kishor

 

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट आबकारी नीति मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की दो याचिकाओं पर आज फैसला सुनाएगा। सीबीआई द्वारा दर्ज भ्रष्टाचार के मामले में अपनी गिरफ्तारी और जमानत से इनकार किए जाने को चुनौती देते हुए सीएम केजरीवाल ने दो अलग-अलग याचिकाएं दायर की हैं।

सर्वोच्च न्यायालय की वेबसाइट पर 13 सितंबर को अपलोड की गई वाद सूची के अनुसार, न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ दोनों याचिकाओं पर फैसला सुनाएगी। पीठ में न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइंया भी शामिल हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने पीठ ने पांच सितंबर को केजरीवाल की याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। सीबीआई ने इस मामले में आम आदमी पार्टी (आप) के प्रमुख को 26 जून को गिरफ्तार किया था। उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट के 5 अगस्त के उस आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, जिसमें हाईकोर्ट ने भ्रष्टाचार के इस मामले में उनकी गिरफ्तारी को बरकरार रखा था।

हाईकोर्ट ने कहा था कि सीबीआई द्वारा केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद अब उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं और संबंधित साक्ष्यों को देखकर यह नहीं कहा जा सकता है कि गिरफ्तारी अकारण या अवैध थी।

हाईकोर्ट ने उन्हें जमानत संबंधी याचिका पर निचली अदालत से संपर्क करने की भी अनुमति दी थी। यह मामला दिल्ली सरकार की आबकारी नीति 2021-22 के निर्माण और क्रियान्वयन में कथित भ्रष्टाचार से जुड़ा है। इस नीति को बाद में निरस्त कर दिया गया था।

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कथित आबकारी नीति ”घोटाले” के संबंध में धनशोधन का एक अलग मामला दर्ज किया था। वहीं, सीबीआई और ईडी के अनुसार, आबकारी नीति में संशोधन करके अनियमितताएं की गईं और लाइसेंसधारकों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया। शीर्ष अदालत ने 12 जुलाई को धनशोधन के मामले में केजरीवाल को अंतरिम जमानत दी थी।

शीर्ष अदालत ने धनशोधन (रोकथाम) अधिनियम (पीएमएलए) के तहत ”गिरफ्तारी की आवश्यकता और अनिवार्यता” के पहलू पर तीन सवालों के संदर्भ में गहन विचार के लिए इसे एक बड़ी पीठ (पांच-सदस्यीय संविधान पीठ) को भेज दिया। ईडी ने धनशोधन के मामले में 21 मार्च को केजरीवाल को गिरफ्तार किया था।

भ्रष्टाचार मामले में अपनी याचिका पर पांच सितंबर को सुनवाई के दौरान केजरीवाल ने सीबीआई की उस दलील का जोरदार विरोध किया था कि उन्हें जमानत के लिए सबसे पहले निचली अदालत जाना चाहिए।

सीबीआई की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस. वी. राजू ने केजरीवाल की याचिकाओं के गुण-दोष पर सवाल करते हुए उच्चतम न्यायालय से अनुरोध किया था कि ईडी की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका के संबंध में भी शीर्ष अदालत को उन्हें (केजरीवाल को) निचली अदालत जाने के लिए कहना चाहिए।

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