ब्रेस्ट कैंसर से लड़ने में बहुत मददगार होता है समझदारी से उठाया गया कदम

by Vimal Kishor

लखनऊ,यूपी-समाचार10 India। उम्र के शुरुआती दौर में ही ब्रेस्ट कैंसर का पता चलना किसी भी महिला के लिए चिंताजनक और डरावना अनुभव हो सकता है। यह समय भावनात्मक रूप से चुनौतीपूर्ण होने के साथ-साथ कई जरूरी फैसलों का मोड़ भी होता है। ब्रेस्ट कैंसर जागरूकता माह हमें याद दिलाता है कि समय पर पहचान, सही जानकारी और समझदारी से उठाए गए कदम ब्रेस्ट कैंसर से लड़ने में बहुत मददगार होते हैं। सही सवाल पूछने से न सिर्फ इलाज के विकल्प स्पष्ट होते हैं, बल्कि मरीज मानसिक रूप से भी मजबूत महसूस करती है। डॉ. अभिषेक कुमार सिंह, डायरेक्टर, मेडिकल और हिमैटो ऑन्कोलॉजी, मेदांता, लखनऊ कहते हैं कि अर्ली ब्रेस्ट कैंसर का पता लगना अक्सर जटिल मेडिकल शब्दों और कठिन फैसलों से भरा होता है।

लेकिन सही समय पर और सही सवाल पूछना मरीजों को उनके इलाज के विकल्प समझने, दोबारा होने के जोखिम को कम करने और जीवन की गुणवत्ता बनाए रखने में मदद करता है। जब मरीज शुरुआत से ही पूरी जानकारी रखते हैं और सक्रिय रहते हैं, तो वे आत्मविश्वास के साथ फैसले ले सकते हैं और अपने स्वास्थ्य पर पूरा नियंत्रण महसूस करते हैं।” 38 साल की सुरेखा अपने काम की डेडलाइन, परिवार के डिनर और वीकेंड प्लान्स में व्यस्त थीं, जब एक फोन कॉल ने उनकी दुनिया ही बदल दी। यह कॉल उनके डॉक्टर का था, जिसने उसे अर्ली ब्रेस्ट कैंसर होने की जानकारी दी। अचानक ऐसा लगा जैसे उनके सामने एक ऐसी ट्रेडमिल आ गई हो, जिसे वे नियंत्रित नहीं कर सकतीं- ट्यूमर का साइज़, लिम्फ नोड्स, कीमोथेरपी, रेडिएशन।

उनके दिमाग में केवल सवाल उठ रहे थेः भविष्य क्या होगा, परिवार कैसे संभलेगा, और यह सफर किस तरह से पूरा होगा। ऐसे समय में दिमाग का काम नहीं करना और घबराया हुआ महसूस करना स्वाभाविक है। लेकिन सुरेखा जैसे मरीजों के लिए, जिन्‍हें अभी हाल ही में अर्ली ब्रेस्ट कैंसर का पता चला है, डॉक्टर के साथ शुरुआती अपॉइंटमेंट्स बेहद अहम होते हैं। ये मुलाकातें सिर्फ इलाज का प्लान तय नहीं करतीं, बल्कि पूरे सफर की दिशा तय करती हैं। बीमारी को समझना, दोबारा होने का खतरा, इलाज के विकल्प, साइड इफेक्ट्स को मैनेज करना और जीवन की गुणवत्ता बनाए रखनाकृइन सब पर बात करना मरीज को अपने इलाज पर नियंत्रण महसूस करने में मदद करता है।

डॉ. अभिषेक कुमार सिंह का कहना है कि कुछ अहम सवाल हैं जो हर नए डायग्नोसिस वाले मरीज को अपने ऑन्कोलॉजिस्ट से पूछने चाहिए, जैसे अर्ली ब्रेस्ट कैंसर क्या है और मेरी डायग्नोसिस का मतलब क्या है?, मेरा कैंसर दोबारा होने का खतरा कितना है?, मेरा इलाज मेरी रोजमर्रा की जिंदगी को कैसे प्रभावित करेगा?, इलाज के दौरान किन साइड इफेक्ट्स की उम्मीद की जा सकती है और उन्हें कैसे मैनेज करें ?, क्या मुझे अपनी जीवनशैली में बदलाव करने चाहिए?, इलाज खत्म होने के बाद मेरी सेहत की निगरानी कैसे होगी? प्रमुख रूप से शामिल है। सोच-समझकर और सही सवाल पूछना मरीज के लिए सबसे ताकतवर टूल्‍स हैं। यह आपको डायग्नोसिस समझने, सही इलाज चुनने और डॉक्टर के साथ मजबूत साझेदारी बनाने में मदद करता है। चाहे आप कैंसर के दोबारा होने के जोखिम, उन्नत इलाज विकल्प या जीवनशैली में बदलाव के बारे में जानकारी ले रहे हों, हर सवाल आपको अपने सफर पर नियंत्रण और जीवन की गुणवत्ता बनाए रखने के करीब लाता है।

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