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मुम्बई, 9 जून। बेटियों को बोझ समझने और स्कूल-कॉलेज की तरफ बढ़ते इनके कदम रोकने वालों के लिए यह परिवार मिसाल है। इस परिवार ने बेटियों को पढ़ने-लिखने का भरपूर अवसर दिया। नतीजा यह है कि छह बेटियां पुलिस कांस्टेबल बन गईं।