डेटाबेस से सहकारिता क्षेत्र का विस्तार, डेवलपमेंट और डिलीवरी सुनिश्चित होगी: केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह

by Vimal Kishor

 

 

नई दिल्ली :केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने राष्ट्रीय डेटाबेस का लोकार्पण किया। सहकारिता आंदोलन से जुड़े शाह यह मानते हैं कि, ‘डेटाबेस से सहकारिता क्षेत्र का विस्तार, डेवलपमेंट और डिलीवरी सुनिश्चित होगी।’
आजादी के बाद दशकों तक अलग से सहकारिता मंत्रालय के गठन की मांग होती रही, लेकिन किसी भी सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। नतीजतन सहकारिता क्षेत्र की स्थिति बद-से-बदतर होती चली गई। साल 2021 में दूरदर्शी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अलग से सहकारिता मंत्रालय के गठन करने का काम पूरा किया और इसकी कमान केंद्रीय गृह मंत्री और भाजपा के दिग्गज नेता अमित शाह को सौंप दी। अपने शुरुआती दिनों से ही सहकारिता क्षेत्र से जुड़े रहने वाले शाह ने कुछ ही वर्षों में सहकारी समितियों को सशक्त बनाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी।

आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी  के नेतृत्व और केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह के कुशल मार्गदर्शन में जर्जर हो चुकी सहकारी समितियाँ जीवंत हो चुकी हैं। देश भर के पैक्स सेंट्रलाइज्ड और कंप्यूटराइज्ड हो गए हैं। अब देश भर में पैक्स को बहुउद्देश्यीय बनाया जा रहा है। अंत्योदय की राजनीति करने वाले अमित शाह का बार-बार यह कहना भी सच साबित होने वाला है कि साल 2027 तक देश के हर पंचायत में एक पैक्स होगा। यही वजह है कि राष्ट्रीय डेटाबेस का निर्माण किया गया है जो देशभर में कहाँ सहकारी समितियां कम है, उस गैप की पहचान कर सहकारिता के विस्तार में मददगार साबित होगा। राष्ट्रीय डेटाबेस से सहकारिता की हर एक जानकारी अब एक क्लिक पर मिलेगी। पॉलिसी मेकर्स, रिसर्चर्स और स्टेकहोल्डर के लिए अमूल्य संसाधन का काम करने वाला राष्ट्रीय डेटाबेस सहकारिता क्षेत्र के विकास को कंपास की तरह दिशा दिखाएगा। दरअसल यह डेटाबेस भारत की पूरी सहकारिता गतिविधियों की जन्मकुंडली है, जिसे अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी की मदद से बनाया गया है। डेटाबेस पोर्टल के माध्यम से छोटी सहकारी संस्थाएं अपने विस्तार के लिए मार्गदर्शन प्राप्त कर सकेंगी। डेटाबेस में पैक्स से एपैक्स, गाँव से शहर, मंडी से ग्लोबल मार्केट और स्टेट से अंतर्राष्ट्रीय डेटाबेस तक जोड़ने की पूरी संभावना मौजूद है।

जियोग्राफ़िकल असंतुलन, एक्रोस सेक्टर असंतुलन, एक्रोस कम्युनिटी असंतुलन और फंक्शनल असंतुलन – इन चारों समस्या का समाधान इस डेटाबेस के अंदर टूल के साथ बारीकी से डाला हुआ है। सहकारिता क्षेत्र के उत्थान को देखते हुए ऐसा लगता है कि मोदी जी के सहकार से समृद्धि, डिजिटल से डेवलपमेंट और डेटाबेस से लक्ष्यों की डिलीवरी को सहकारिता ही सिद्ध करेगा। आज अमृतकाल में 8 लाख से ज्यादा समितियाँ पंजीकृत हैं और 30 करोड़ से ज्यादा नागरिक इन समितियों के साथ जुड़े हुए हैं।

नए भारत के निर्माण में जुटे मोदी जी और भारतीय राजनीति की दिशा और दशा को बदल कर रख देने वाले अमित शाह का स्वभाव है कि साहसिक फैसले भी लेते हैं और उसे अंजाम तक भी पहुँचाते हैं, यही वजह है कि सहकारिता मंत्रालय का गठन हो पाया और आज सहकारिता क्षेत्र का विकास भी हो रहा है।

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