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नई दिल्ली, 05 सितंबर: जब कोई व्यक्ति अस्पताल में एडमिट रहता है। तबीयत में सुधार होने के बजाय उसमें जीवन के लक्षण खत्म हो जाते हैं तो परिजनों को बस यही ख्वाहिश होती है कि किसी तरह उसमें जीवन के लक्षण