बिहार में प्रशासनिक बर्बरता से देश आहत…

by Vimal Kishor

 

बिहार के मुख्यमंत्री नौकरी देने वालों पर बर्बरता करा रहे हैं ये है नीतीश का सुशासन क्या इसी दम पर 10 लाख नौकरी देने की बात कही थी जब एन डी ए से नाता तोड़कर महागठबंधन का दामन थामा था।नीतीश की कथनी और करनी में काफी फर्क है यहाँ नौकरी का लालच देकर सत्ता तो हथिया ली जाती है पर जब युवा नौकरी मांगते हैं तो उनपर लाठियों की बरसात करा दी जाती है।

22 अगस्त को तो हद ही कर दी बिहार प्रशासन ने ना छात्रों के दर्द को समझा और ना झंडे का मान रखा बस डंडे से उनकी आवाज़ दबाने में लगे रहे।देश देख रहा था कि बिहार की राजधानी पटना में हज़ारों युवा बेरोज़गार प्रदर्शन कर रहे थे ये प्रदर्शन नौकरी की मांग को लेकर था अमूमन अपना हक मांगने के लिए प्रदर्शन का सहारा लेना ही पड़ता है ताकि प्रदर्शनकारियों की आवाज़ मुखिया तक पहुंचाई जा सके लेकिन बिहार में जो हुआ उसने ये साफ़ कर दिया कि नौकरी मांगोगे तो हाथ पैर तोड़ दिए जाएंगे बाद में उसकी जांच कराई जाएगी और कहा जायेगा कि जिससे ये गलती हुई है उस अधिकारी के विरुद्ध कार्यवाई की जाएगी।


जैसा कि आज सभी चैनलों पर दिखाई दिया कि पटना में एक प्रर्दशनकारी को एडीएम के के सिंह ने पटक पटक कर मारा इतना मारा के युवक खून से लथपथ हो गया उसने हमारे देश की आन झंडे का सहारा भी लिया लेकिन एडीएम साहब के सिर पर तो खून सवार था उन्होंने झंडे का भी मान ना रखा और उसके उस हाथ को तोड़ दिया जिससे उसने झंडा पकड़ा था।

घटना की पूरे देश मे निंदा हुई तब वहां के डीएम साहब बोले कि जांच की जाएगी ऐसा नही होना चाहिए था जो हुआ उसका दुख है वहीं डिप्टी सीएम ने भी घटना की निंदा की और अपना पल्ला झाड़ लिया क्या इसी झूट के सहारे युवाओं के वोट पाने का दम रखते हैं आप ये बता दीजिए जब आपके अधिकारी ही आपकी छवि बिगाड़ने में लगे है तो जनता आप आगे क्या उम्मीद रखेंगे इसका अंदाज़ा भी लगा लीजिये।
अगर सरकार की मंशा वाकई युवाओं को रोजगार देने की है तो ऐसे अधिकारी को तुरंत पद से हटाइये जिसे ना आपकी बात की चिंता है ना साख की और ना झंडे के मान मर्यादा की।

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