1947 के बिछड़े अब मिले: ‘अपने ख़ून में बड़ी कशिश होती है, भाइयों को देखते ही पहचान गई थी’

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“हम तीन भाई हैं. हम जीवन भर एक बहन के लिए तरसते रहे हैं. अपनी मौसी और मामा की बेटियों को बहनें बनाकर उनके साथ बहनों वाली रस्में पूरी करते रहे. क़िस्मत ने इतने समय के बाद बहन से मिलाया है,

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