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काबुल, जनवरी 29: दो वक्त की रोटी चाहिए और उसे पाने के लिए अब आखिरी सहारा या तो डिकनी बेचना रह गया है या घर की छोटी-छोटी बेटियों का आखिरी रास्ता। अफगानिस्तान की माएं मजबूर हो चुकी हैं और अपनी तकदीर