21
बैंगलोर, 28 सितंबर। ‘वो चंचल है, वो शोख है, जिसकी आंखों ने सिर्फ अब तक मीठे ख्वाबों को ही देखा था, क्या पता था कि बाबुल के आंगन की गुड़िया अब आसमां में उड़ने को तैयार है’ जी हां, ये ही बातें