माता-पिता की सेवा परम धर्म है शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती

by Vimal Kishor

लखनऊ,समाचार10 India। ऋग्वेदीय पूर्वाम्नाय श्रीगोवर्द्धनमठ-पुरीपीठाधीश्वर श्रीमज्जगद्गुरु-शंकराचार्य स्वामी निश्चलानन्द सरस्वती जी महाराज ने वामा ऐप के सह संस्थापक डा. ज्योतिषाचार्य आचार्य देव के निवास विशालखंड 2/201 गोमतीनगर पर गोष्ठी में सम्मिलित होकर भक्तों को दर्शन दिए एवं उनके द्वारा पूछे गए प्रश्नों का सहजता से जवाब देने के साथ साथ उनके विचारों का भी नई दिशा दी।

पुरीपीठाधीश्वर श्रीमज्जगद्गुरु-शंकराचार्य स्वामी निश्चलानन्द सरस्वती जी महाराज ने गोष्ठी में अपने विचार व्यक्त करते हुए भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि माता पिता की सेवा करना आदिकाल से परमधर्म माना गया है और यह वर्तमान में भी चरितार्थ है। माता-पिता की सेवा कर अपनी सेवा का मार्ग प्रशस्त करते हैं इसलिए यह हमारा भ्रम है कि हम माता-पिता की सेवा कर कोई बड़ा कार्य कर रहे हैं या उन पर एहसान कर रहे हैं। मात्र देव भव, पित्र देव भव, अतिथि देवो भव, आचार्य देव भव, इन सभी शब्दों में देव शब्द आता है। देव शब्द की सभी रूपों में अभिव्यक्ति है देव शब्द सब में अंकित है।

वर्तमान में हर त्यौहार अब लगभग दो दिन होने लगे हैं इसको लेकर शंकराचार्य जी ने कहा पंचांगो में भेद की वजह से हर त्यौहार अब लगभग दो दिन मनाने का चलन शुरू हो गया है। हिंदू धर्म और सनातन धर्म पर बात करते उन्होंने कहा हिंदू धर्म है और खालसा पंथ है हम धर्म के भी पक्षधर हैं और पंथ के भी पक्षधर हैं हम दोनों को साथ लेकर चलते हैं अपनी बात को आगे बढ़ते हैं उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में सबसे घातक अस्त्र जो किसी भी मनुष्य के लिए है वह शब्द भेदी बाण। हमारे समाज की सबसे बड़ी समस्या यह है कि हम जिन्हे आंसू पूछने वाला समझते हैं वही हमारे आंसू बढ़ा कर चले जाते हैं।

वामा ऐप के सह संस्थापक डा. ज्योतिषाचार्य आचार्य देव ने कहा कि ये मेरा सौभाग्य है कि पुरीपीठाधीश्वर श्रीमज्जगद्गुरु-शंकराचार्य स्वामी निश्चलानन्द सरस्वती जी महाराज मेरे निवास पर रुके हैं और यह से अपने विचार भक्तों तक पहुंचा रहे हैं। एक भक्त के लिए इससे बड़ी बात क्या ही हो सकती उनके गुरु उनके यहां निवास कर उन्हें आशीर्वाद दें।

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