एटलस कोप्को एक प्रमुख विनिर्माण समूह है जो कम्प्रेसर्स, वैक्यूम सॉल्यूशंस, जेनेरेटर्स, पंप्स, पावर टूल्स और एसेम्बली सिस्टम बनाने का काम करता है। इस समूह ने तलेगांव, पुणे में अपने नए विनिर्माण परिसर को तैयार करने का काम शुरू कर दिया है।
एटलस कोप्को की तलेगांव में नई अत्याधुनिक एअर तथा गैस कम्प्रेसर सिस्टम फैक्ट्री, स्थानीय बाजार के लिए सिस्टम तैयार करेगी और उसका निर्यात करेगी। इसमें शामिल एक मैन्युफैक्चरिंग प्लांट और ऑफिस की इमारत कुल 270.000 वर्ग फीट क्षेत्र में बनाया जा रहा है और इसमें 1400 एमआईएनआर (लगभग 15 एमईयूआर) खर्च करने की योजना है।
साल 2024 की दूसरी तिमाही में इस नए परिसर को पूरा करने की योजना है। इससे 200 से अधिक लोगों को रोजगार मिलेगा और उत्पादन की क्षमता बढ़ेगी।
इस नए परिसर की घोषणा करने के अवसर पर, फिलिप अर्नेन्स, प्रेसिडेंट ऑयल-फ्री एअर डिविजन, ने कहा, “भारतीय तथा निर्यात बाजार की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए हम भारतीय क्षमता पर निवेश करेंगे। विस्तार परियोजना की हमारी रणनीति, ग्राहकों के दिमाग में सबसे पहले और सबसे पहली पसंद बने रहने की है। इससे हमें नए ग्राहकों तथा बाजारों तक पहुंचने में मदद मिलेगी। साथ ही ग्राहकों के लिए समय सीमा में भी सुधार होगा।“
मार्सेलो काबिलियो, वाइस प्रेसिडेंट- ऑपरेशंस, एटलस कोप्को इंडिया का कहना है, “एटलस कोप्को, हमेशा ही ऐसे स्थायी समाधान देने के मामले में आगे रहा है, जो कार्बन फुटप्रिंट को कम करता है। यह फैक्ट्री, उसी पहल का हिस्सा है। हमारी लगनशील टीमें, नई फैक्ट्री में इन अनूठे प्रोडक्ट्स को डिजाइन करने और उनका निर्माण करने में लगी हुई है। इससे हमारे ग्राहकों की उत्पादकता और स्थायित्व के लक्ष्य को पूरा करने में मदद मिलेगी।
तलेगांव परिसर में, लगभग 80% ऊर्जा का स्रोत सोलर ऊर्जा है; और यहां इस्तेमाल होने वाला तीन-चौथाई पानी वर्षा जल संचयन से लिया जाएगा। इस तरह अक्षय ऊर्जा का इस्तेमाल करने का मकसद, परफॉर्मेंस को बढ़ाना, संचालन तथा रख-रखाव के खर्च में कटौती करना और पारंपरिक ऊर्जा और पानी आपूर्ति पर निर्भरता को कम करना है। एटलस कोप्को का लक्ष्य ज्यादा स्थायी तरीके से अपने नए परिसरों का निर्माण करना है। साथ ही निर्माण से लेकर क्षमता से जुड़े विभिन्न पहलुओं को हल करना है।
इस फैक्ट्री को एलईएएन , सुरक्षित, एर्गोनोमिक, लचीले और सर्कुलर विनिर्माण सिद्धांतों के अनुरूप बनाया जाएगा। इसमें पारिस्थितिक प्रभाव को अनुकूलित करने के उद्देश्य से कम करने, पुन: उपयोग और रीसाइक्लिंग के बुनियादी सिद्धांतों को भी शामिल किया गया है।