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नई दिल्ली, 12 दिसंबर: भारत में लोकतंत्र जितना मजबूत हो रहा है, चुनावी वादों के मामले वह उतना ही संकुचित होता जा रहा है। लगभग सभी राजनीतिक दल अब सीधे-सीधे वोटरों को निजी प्रलोभन देने पर उतर आए हैं। इसी कड़ी