डॉ. रेखा चतुर्वेदी ने प्रवासी भारतीय दिवस पर अपनी पुस्तक “फिजी में भारतीयों का इतिहास तथा उनका जीवन (1879 – 1947)” का विमोचन किया।

by Vimal Kishor

 

लखनऊ,यूपी। प्रख्यात लेखिका और शिक्षाविद् डॉ. रेखा चतुर्वेदी ने अपनी पीएचडी शोध पर आधारित पुस्तक “फिजी में भारतीयों का इतिहास तथा उनका जीवन (1879 – 1947)” का विमोचन प्रवासी भारतीय दिवस के शुभ अवसर पर किया।डॉ. रेखा चतुर्वेदी स्वर्गीय पंडित बनारसी दास चतुर्वेदी (राज्यसभा सांसद) की पोती हैं। पंडित बनारसी दास चतुर्वेदी ने प्रवासी भारतीयों पर उल्लेखनीय कार्य किया है। डॉ. रेखा चतुर्वेदी ने कहा, “फिजी में भारतीयों का इतिहास तथा उनका जीवन (1879 –1947)” भारतीय गिरमिटिया मजदूरों के जीवन और उनके संघर्षों पर गहन अंतर्दृष्टि प्रदान करती है।

यह पुस्तक भारतीय प्रवासी समाज के बलिदानों को पहचानने और उनकी कहानियों को आने वाली पीढ़ियों के लिए संजोने का आह्वान भी करती है। गिरमिटिया मजदूरों को उस समय के ब्रिटिश शासन के दौरान “कुली” के नाम से जाना जाता था। यह भारत के औपनिवेशिक इतिहास का एक दर्दनाक और शर्मनाक हिस्सा है। दक्षिण अफ्रीका, मॉरीशस, त्रिनिदाद, गुयाना और फिजी जैसे देशों में इन गिरमिटिया मजदूरों को अमानवीय परिस्थितियों में कठोर और अत्यंत कठिन कार्य करने के लिए मजबूर किया गया।

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