लखनऊ। संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान में मरीज सहायक के नाम पर वसूली करने वाला गिरोह सक्रिय है। संस्थान के एचआरएफ( हास्पिटल रिवाल्विंग फंड) में गिरोह ने सहायक पद पर नौकरी दे दिया और 10 दिन काम भी करा लिया।
विभाग के लोगों ने जब नए लड़के बारे में पता किया कि कब और किसने तैनाती दी है तो पता चला कि एक गिरोह ने पैसा लेकर यहां काम करने को भेजा है। उस लड़के से कैसे ठगी हुई जानने के लिए प्रभारी, सहायक प्रभारी, दीपक सिंह ने पूरे मामले का पड़ताल किया।
ठगी के शिकार लड़के जतिन को विश्वास में लेकर पूछताछ की गयी तो पता चला कि एचआरएफ कैंप के रजनीश, देवेश, हिमांशु ने पैसा लेकर तैनाती दिया। बताया कि सर्जिकल स्टोर में तैनाती है। ठगी का शिकार लड़का आ कर हेल्पर का काम भी करने लगा। स्टोर के कर्मचारी दीपक सिंह ने जब उसके बारे में जानकारी हासिल किया तो पता चला कि यह कर्मचारी ही नहीं है जिसकी जानकारी प्रभारी को दिया।
ठगी के शिकार जतिन ने स्वीकार किया इन लोगों को पैसा दिया है। प्रभारी ने पूरी जानकारी चेयरमैन को दी जिसके बाद इन लोगों को सेवा से हटा दिया गया है। संस्थान के निदेशक प्रोफेसर आरके धीमान ने कहा कि किसी के बहकावे में मत आएं जो भी आउट सोर्स पर तैनाती होती है उसकी एक प्रक्रिया है। मामले की पूरी जांच पड़ताल कराई जा रही है। दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।
दवा घोटाले में 18 कर्मचारियों पर गिरी थी गाजः एसजीपीजीआई में पिछले साल 50 लाख से ज्यादा का दवा घोटाला सामने आया था। इस मामले में प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री सहित अन्य राहत कोष से मरीजों के इलाज के लिए मिलने मिले में जमकर खेल किया गया। इस मामले के तार भी हॉस्पिटल रिवाल्विंग फंड (एचआरएफ) से जुड़े थे। मामला खुलने पर संस्थान के 18 कर्मचारियों को बर्खास्त किया गया था।