मैदान में मुझे देखकर लोग हंसते थे, पहले मेडल ने बदल दी जिंदगी, देवेंद्र झझड़िया संघर्ष को याद कर हुए भावुक

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नई दिल्ली, 17 सितंबर। 40 साल की उम्र, लोग कहने लगे कि अब तुम्हारे बाजुओं में ताकत नहीं है, भाला कैसे फेंक पाओगे। सबकी सुनी, लेकिन मन में प्रण ले चुका था, जब तक जीवित हूं देश के लिए खेलूंगा। पैरालिंपिक

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