विश्व सीओपीडी दिवस 2023: बेहतर रोग जागरूकता के माध्यम से प्रारंभिक कार्रवाई को सशक्त बनाना

by Vimal Kishor

लखनऊ,समाचार10 India। भारत की सबसे हालिया राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति का लक्ष्य 2025 तक पुरानी श्वसन स्थितियों सहित गैर-संचारी रोगों से होने वाली प्रारंभिक मौतों को 2025 तक 25% कम करना है । इस संदर्भ में क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) प्रमुख चिंता है। हाल के एक अध्ययन से यह खुलासा हुआ है कि सीओपीडी-निदान वाले 54% रोगियों को बीमारी के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। यह सीओपीडी के प्रभावी प्रबंधन में स्पष्ट अंतर को उजागर करता है, जहां जागरूकता पहचान, निदान और हस्तक्षेप की प्रक्रिया को शुरू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

उदाहरण के लिए, राष्ट्रीय स्तर पर फेफड़ों के स्वास्थ्य में सुधार की दिशा के इस महत्वपूर्ण दिन को मनाने के लिए, सिप्ला राष्ट्रव्यापी लंग स्क्रीनिंग कैम्प (फेफड़ों की जांच शिविर) आयोजित करता है। यह ‘ब्रीथफ़्री’ जैसी पहल के अतिरिक्त है। भौतिक और डिजिटल दोनों उपस्थिति यानी ब्रीथफ्री डिजिटल एजुकेटर के साथ, यह स्क्रीनिंग, परामर्श और उपचार पालन के क्षेत्रों में रोगी की संपूर्ण यात्रा को शामिल करता है।

इस तरह के कार्यक्रम रोगियों को उनके फेफड़ों के स्वास्थ्य को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने में मदद करने के लिए महत्वपूर्ण हैं, जिससे रोगी को बेहतर परिणाम मिल सकें। इस विश्व सीओपीडी दिवस पर, देश भर के चिकित्सा विशेषज्ञ ‘सांस लेना ही जीवन है – समय रहते कार्य करें’ के वैश्विक विषय के तहत एकजुट होते हैं। यह इस स्थिति से जूझ रहे लोगों के लिए रोग नियंत्रण, जीवन की गुणवत्ता के साथ-साथ जीवन प्रत्याशा में सुधार के लिए बढ़ी हुई रोग जागरूकता की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालता है।

सीओपीडी की शीघ्र पहचान और उपचार के लिए बेहतर रोग जागरूकता की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए डॉ. बी.पी. सिंह, श्वसन, क्रिटिकल केयर एवं नींद चिकित्सा विशेषज्ञ, लखनऊ कहा, “विविध चिकित्सा पद्धतियों वाले देश में जागरूकता रोग निदान और तर्कसंगत उपचार को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चूंकि सीओपीडी एक प्रगतिशील स्थिति है, इसलिए फेफड़ों की कार्यक्षमता में उल्लेखनीय गिरावट के साथ-साथ सांस फूलना, खांसी, थूक उत्पादन, घरघराहट और सीने में जकड़न जैसे लक्षणों के बिगड़ने से पहले इसे नियंत्रित करना आवश्यक , है। दरअसल त्योहारों का मौसम है और धुएं तथा वायुजनित प्रदूषकों जैसे ट्रिगर्स के परिणामस्वरूप बीमारी बढ़ सकती है या फेफड़ों का दौरा पड़ सकता है। इससे ठीक होने में रोगियों को पूरी तरह से ठीक होने में एक महीने या उससे अधिक समय लग सकता है ।

डॉ. रवि भास्कर, चेस्ट फिजिशियन, लखनऊ ने आगे कहा, “लगभग दो-तिहाई मामलों का निदान न होने है और पांच में से केवल एक हिस्से को इनहेलेशन का उचित उपचार मिल रहा है। ऐसे में यह बताना जरूरी है कि जागरूकता बढ़ाने से यह सुनिश्चित करके जीवन बचाया जा सकता है कि अधिक लोगों को आवश्यक देखभाल मिले।”1 किसी भी सीओपीडी प्रबंधन योजना का लक्ष्य प्रगति को रोकना और गिरावट को कम करना है, और यह बीमारी और उसके उपचार की बेहतर समझ पर निर्भर करता है। सीओपीडी के इलाज के लिए ब्रोंकोडाइलेटर इनहेलर महत्वपूर्ण हैं, और पलमोनरी रिहैबिलेशन (फुफ्फुसीय पुनर्वास) जैसे कार्यक्रम जीवन की गुणवत्ता में काफी सुधार कर सकते हैं । कुछ ऐसे रोगियों, जैसे जो शीघ्रता से इनहेल नहीं कर पाते हैं के लिए, नेबुलाइज्ड उपचार एक व्यवहार्य विकल्प के रूप में काम करते हैं, खासकर घरेलू देखभाल के लिए पोर्टेबल उपकरणों के साथ। गंभीर स्थिति में यह विशेष रूप से प्रभावी हो सकता है। ”

क्रोनिक इनफ्लेमेट्री लंग डिसऑर्डरस सीओपीडी को मोटे तौर पर फेफड़े में हवा का प्रवाह बाधित होने और फेफड़ों में विकार है। इसमें फेफड़े में सूजन शामिल है। जोखिम कारकों में घरेलू प्रदूषण जैसे चूल्हे का धुआं, तंबाकू का धुआं, बाहरी वायु प्रदूषण से लेकर कृषि जैसे उद्योगों में व्यवसाय-संबंधित प्रदूषक शामिल हैं।2 सीओपीडी का पता चलने की पुष्टि के लिए, स्पिरोमेट्री नामक एक महत्वपूर्ण फेफड़े के कार्य परीक्षण की आवश्यकता होती है, जो किसी व्यक्ति के फेफड़ों के कार्य को दर्शाते हुए, सांस लेने और छोड़ने वाली हवा की मात्रा को मापता है। वैसे तो यह स्थिति पूरी तरह ठीक नहीं हो सकती है, लेकिन समय पर अपनाई गई उचित उपचार रणनीति के साथ स्थिति का प्रबंध किया जा सकता है। हालाँकि, मरीज किसी रोग निदान को सक्रियता से मानें और स्वप्रबंध कार्यक्रम में लगें तथा ट्रीटमेंट ऐक्शन प्लान का प्रभावी उपयोग करें, इसके लिए यह आवश्यक है कि वे ट्रिगर्स को पहचानने में सक्षम हों साथ ही जो स्थिति हो उसके लक्षण जल्दी सामने आयें और पहचाने जाएं।

विश्व सीओपीडी दिवस 2023 फेफड़ों के शुरुआती स्वास्थ्य के महत्व पर कार्रवाई के लिए एक वैश्विक आह्वान के रूप में कार्य करता है। जो यह बताता है कि सीओपीडी प्रबंध में फेफड़े के शुरुआती स्वास्थ्य का क्या महत्व है। हालाँकि, जागरूकता प्रयासों को एक ऐसे पारिस्थितिकी तंत्र द्वारा पूरा किया जाना चाहिए जो स्वास्थ्य देखभाल सहायता तक बेहतर पहुंच को सक्षम बनाता है।

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