नारायण सेवा संस्थान द्वारा 12 अक्टूबर को लगेगा विशाल नारायण कृत्रिम अंग वितरण शिविर

• 301 दिव्यांगजन को निःशुल्क लगाए जाएंगे 462 कृत्रिम अंग व कैलिपर

by Vimal Kishor

 

लखनऊ,समाचार10 India। नारायण सेवा संस्थान द्वारा 12 अक्टूबर को प्रातः 8 बजे से सायं 6 बजे तक दयाल गेटवे होटल, किसान बाजार, सिनेपोलिस मॉल के सामने, विभूति खंड, गोमती नगर, लखनऊ में निःशुल्क नारायण कृत्रिम अंग एवं कैलिपर फिटमेंट शिविर आयोजित किया जा रहा है। यह शिविर नारायण सेवा संस्थान तथा मेक अ चेंज फ़ाउंडेशन यूके और श्री स्वामीनारायण मंदिर, विल्सडेन, यूके के संयुक्त तत्वावधान में हो रहा है। इन संस्थाओं का सहयोग मानव सेवा के क्षेत्र में निरंतर मिलता रहा है। संस्थान के सहयोगी बनकर ये संस्थाएँ दिव्यांगों के जीवन उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

शुक्रवार को आयोजित प्रेस वार्ता में शिविर प्रभारी हरि प्रसाद लड्ढा ने बताया कि शिविर का शुभारंभ प्रातः 11 बजे किया जाएगा। इस अवसर पर केवल पूर्व चयनित लाभार्थियों को ही कृत्रिम अंग व कैलिपर लगाए जाएंगे।उन्होंने बताया कि इस शिविर में 146 दिव्यांगजनों को 164 कृत्रिम अंग तथा 155 दिव्यांगजनों को 298 कैलिपर लगाए जाएंगे। ये सभी लाभार्थी 13 जुलाई को आयोजित निःशुल्क नारायण माप शिविर में चयनित हुए थे। कृत्रिम अंगों के सहारे वे एक बार फिर चलने-फिरने और सम्मानपूर्ण जीवन की ओर कदम बढ़ाएंगे।

लड्ढा ने बताया, “नारायण सेवा संस्थान वर्ष 1985 से ‘नर सेवा ही नारायण सेवा है’ की भावना के साथ कार्य कर रहा है। संस्थान के संस्थापक कैलाश मानव को उनके असाधारण मानवीय कार्यों के लिए भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया है। हाल ही में 30 मई को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित किया।”

संस्थान के अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल ने चिकित्सा, शिक्षा, कौशल विकास और दिव्यांगों के लिए खेल अकादमी जैसे क्षेत्रों में लाखों जीवनों को सशक्त बनाया है। उन्हें भी वर्ष 2023 में राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। अब तक संस्थान द्वारा 40,000 से अधिक कृत्रिम अंग निःशुल्क लगाए जा चुके हैं।
पिछले 40 वर्षों से नारायण सेवा संस्थान भारत ही नहीं बल्कि केन्या, युगांडा, मेरू, तंज़ानिया और नेपाल जैसे देशों में भी दिव्यांगजनों की सेवा कर रहा है। प्रतिमाह लगभग 1,800 कृत्रिम अंग निःशुल्क प्रदान किए जाते हैं।

लखनऊ में यह शिविर उन लोगों के लिए नई उम्मीद लेकर आया है, जो कभी दुर्घटनाओं के बाद अपने परिवार पर बोझ महसूस करते थे। अब जर्मन तकनीक से निर्मित नारायण कृत्रिम अंगों की सहायता से वे फिर से अपने पैरों पर खड़े होकर समाज की मुख्यधारा में शामिल होंगे।

शिविर की गरिमा बढ़ाने हेतु दानदाताओं, गणमान्य नागरिकों एवं समाजसेवियों को आमंत्रित किया गया है। लाभार्थियों को निःशुल्क भोजन और फिटमेंट के बाद चलने का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। पहले लाभान्वित हो चुके दिव्यांगजन भी इस शिविर में आकर अपने अनुभव साझा करेंगे और नव-लाभार्थियों को प्रेरित करेंगे।

यह शिविर केवल कृत्रिम अंग वितरण का आयोजन नहीं है — यह आशा, गतिशीलता और आत्मनिर्भरता का उत्सव है। यह उन मुस्कानों की कहानी है जो कभी ठहर गई थीं, पर अब फिर से दौड़ने को तैयार हैं।

You may also like

Leave a Comment